*|| सूर्यवंदना ||*
*|| छप्पय ||*
*||कर्ता : मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
(11-3-2019)
*निसर वन्न नहराळ,भुवन आभा पर भटके,*
*कहर क्रोध कर काळ,त्राड तमसा पर तटके,*
*पुंज किरण प्रति पाळ,जकळ तोड़ण पळ झटके,*
*अहर्निश अजवाळ,ख्याल राखत अम खटके,*
*जोराळ तमस विकराळ जमे,जद आभे ज्योत जरंत है,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,कर जोड़ ध्यान मित करंत है*
(12-3-2019)
*सह मुकुंद शिवब्रह्म,पंच तत्वों पर प्रथमी,*
*जल अगन वा जम्म,थरल पाताल नय थमी,*
*नव ग्रहाय नवतल्ल,दल्ल त्रीदेव नै दमी,*
*सकल तम्म पर असल,शक्ति सुर भूप पर समी,*
*जल प्रथम ज्योत शिव जागती,परब्रह्म ध्रुव परमाण है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,रहियो अवल्ल मित राण है*
(13-3-2019)
*【 अध्रोष्ठक छंद छप्पय 】*
*सहज न्यार धर सदा,रहत रग लहु धधक रग,*
*सहज न्यार धर सदा,सरग सज निहर तरुण सग*
*सहज न्यार धर सदा,नगुण द्रग जरत अगन नग*
*सहज न्यार धर सदा,जळहळे ज्योत जगन जग*
*रग अर्थ अगन तन अर्क रची,सरग सज्यो धर सहज से*
*अध्रोष्ठ कृत सहीयार ईश,अरक चवन अज अरज से*
रग-नसल,
रग-मनोवृति
सग- दिवानी ज्योत
नग-पर्वत,
जग- जगत,विश्व
* कवि मित
(मित+ईश)
(मितेश)
(सहियार-सखा-मित्र-मित)
*(सहियार ईश-मितेश)*
(14-3-2019)
*अलख जगावण आप,पदारथ भक्तिकाल पथ,*
*अलख जगावण आप,गरक अम भाव रदय ग्रथ*
*अलख जगावण आप,तुही पर चलत काल तथ*
*अलख जगावण आप,अकाक दन अम निरख अथ*
*भव भाण पदारथ भगतनू,पथ अम जीवन परमाण*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,रहो रंच रदय मित राण*
(15-3-2019)
*बिरद महा पद बाप,उगे अम श्वास अपावे,*
*बिरद महा पद बाप,मध्य नभ ज्ञान मपावे,*
*बिरद महा पद बाप,खलक पर ध्यान खपावे,*
*बिरद महा पद बाप,तपे सुत रदय तपावे*
*कहु बिरद बाप तुह कश्यपा,सुत जीव मरण तुह शाख*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,दन सकळ मीत पळ दाख*
(16-3-2019)
*कहू अजायब काय,कळा तुज कामणगारी,*
*विधि विधान वरताय,अळा तुज पर आधारी,*
*श्वास तणो संचार,समंदर उंडण सारी*
*सकळ धणी संसार,भव्य तुज परचा भारी,*
*प्रगट भोर परमार्थपति,जे विश्व विरासतवान*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,भजे मित भुवन भगवान*
(17-3-2019)
*भद्र वीर भगवान,भष्म पर भवन भमावे,*
*भद्र वीर भगवान,जोर षट जहर जमावे*
*भद्र वीर भगवान,रमण नव नाथ रमावे,*
*भद्र वीर भगवान,खलक तप खोर खमावे*
*तुहि देव महा नभ तारलो,वैराट विश्व विज्ञान तु,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,वदु मित तणो विद्वान तु,*
(18-3-2019)
*दरिया पंड दिलेर,साध लक्ष्या गुण सारो,*
*दरिया पंड दिलेर,आथ नय लय पर आरो,*
*दरिया पंड दिलेर,भान गुरू उत्तम भारो*
*दरिया पंड दिलेर,इलम पर आप इशारों*
*दिनकर देव दिलेरपणा,तुहि भाव सलूणा भाण,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,रहो रदय गुरु मित राण*
(19-3-2019)
*जोगण भाल जगाट,मनोरम भाण मलकतो,*
*जोगण भाल जगाट,वखत पर वाल वलखतो,*
*जोगण भाल जगाट,जोग संयोग जलकतो*
*जोगण भाल जगाट,ढाल अम हाल ढलकतो*
*वडोय सुरातन विश्वमा,जोगण भाल जगाट तू*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,वंदन मित वैराट तू*
है नारायण,आ अवनी नी रचना तमे करी पण छताय आ अवनी नी सजावट तो अमारी माँ थकी ज छे,तमे भले विश्व मा मोटा हशो पण जननी थी मोटू तो कोई पण नथी,तमे आवा अमारी मा भगवती ना भाल नु तेज बनी आ सृस्टि ने सजावो छो,व्हाल ना वलखा,समये समये अमारी ढाल बनी अमारी परिस्थिति ने साजी करो छो,तमे आटला वैराट छो छताय जो माँ ना भाल मा चमको तो तो अमारी माँ भगवती नु वैराट रूप हु कै रीते वर्णवु,एथी नित्य तमारा दर्शन शीश नमावु ए ज मा भगवती मानी ले,आपने नित्य मारा वंदन
(20-3-2019)
*सात रंग सहकार,काल दरिदर तन कापे,*
*सात रंग सहकार,अकल सद अविरत आपे,*
*सात रंग सहकार,पुण्य भव तुज परतापे,*
*सात रंग सहकार,जुगत गत अवगत जापे,*
*निखिल देव नीरवाह नुरा,हैया पथ हितकार है,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,सतरंगो सुरमित सार है*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
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