(1-3-2019)
*वसमा रुद्र विराज,झळहळे आभ जभाने,*
*वसमा रुद्र विराज,समे व्रेह्मण्ड सभाने,*
*वसमा रुद्र विराज,आप थकी जीव अभाने*
*वसमा रुद्र विराज,नयन सत लोक नभाने*
*अविलंब युद्ध चढे नित अरक,तप हरे तमस पर ताप ने*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अविलंब नमन मित आपने*
(2-3-2019)
*परिमल श्वासे प्रौढ़,तणी नित आशा तरती,*
*परिमल श्वासें प्रौढ़,कमळ कुंजन कु करती*
*परिमल श्वासें प्रौढ़,फ़रर अभिनय वा फरती*
*परिमल श्वासें प्रौढ़,सरर सुर आभा सरती*
*नित रमण रमे नव रस नयन,जस भाण तणु जग जोर है,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,भव तरसे नमन मित भोर है*
है सूर्यनारायण देव,सवार पड़ता हु जागु त्यारे तने नित्य धन्यवाद करु के आज नो दिवस मारी नजर समक्ष छे,नित प्रभाते कोयल,पक्षीओ कलरव करता होय,सवार ना पवनो सुसवाटा लेता अभिनय करता होय,अने आकाश परथी तमारा किरणो नी सुरवाणी कीर्ति फैलाई रही होय,आ सम्पूर्ण घटना नो जस तमने ज आपु छु एवा अनेक प्रकारना आह्लादक अनुभव माटे आज मारी आ सवार माटे तमने मारा नित्य नमन
(3-3-2019)
*जय प्रकाश जयवंत,अंत आदि अवनीरथ,*
*जय प्रकाश जयवंत,भ्रम्म भागेय भगीरथ,*
*जय प्रकाश जयवंत,प्रहर अमीतरह चलण पथ,*
*जय प्रकाश जयवंत,अरक गौ तारक अभ्यर्थ,*
*अध्यक्ष आभ चवु अमतणो,ब्रह्मांड भुवन भगवंत है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,जिह भनंत मित जयवंत है*
(4-3-2019)
*शब्द सूरज सम्मान,नमो शिव शम्भु नाथं,*
*शब्द सूरज सम्मान,गहन तप शिव रूप गाथं*
*शब्द सूरज सम्मान,भोर भैरव पट भ्राथं*
*शब्द सूरज सन्मान,सखर हर पळ धर साथं*
*हर दयाल रूप नभ हल्यो,भय भुवन मुक्तिं भगवान है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,शिव समु मित सम्मान है*
(5-3-2019)
*भुवन भाग्य भवदेव,करुण दृष्टि भव पर क्रत*
*भुवन भाग्य भवदेव,पवन गुण वहत अमर प्रत,*
*भुवन भाग्य भवदेव,अहर्निश आप उजा ग्रत*
*भुवन भाग्य भवदेव,मिहिर पद अचल भुवन मत*
*गण उदक वाय गरवो गगन,भजु भवनतार भगवान ने*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित धरु शबद तव मान ने*
(6-3-2019)
*परम चित्त परमार्थ,उदारी दळे अवकरा,*
*परम चित्त परमार्थ,स्वाद रीद फळे सरकरा,*
*परम चित्त परमार्थ,किरण पट पड़े करकरा,*
*परम चित्त परमार्थ,तरण धर तुही परतरा,*
*सत साय सहायी सूर्य तु,सत साधक सर्व समान थी,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित रिदय वंद मनध्यान थी*
(7-3-2019)
*प्रज्वलित परचंडं,पंड अग्नि जर परथमी,*
*प्रज्वलित परचंड,दंड भय असुर कोप दमी,*
*प्रज्वलित परचंड,भंड दूत अधम परभमी,*
*प्रज्वलित परचंड,खंड चौ दिशे अवनखमी,*
*महाराण काल महाकालतु,परचंड पाप हरे प्रज्वळी,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,लख मित वंद करे पद लळी*
(8-3-2019)
*आप सत्य सुर एक,सत्य नही धरा पर समे,*
*आप सत्य सुर एक,दरश गति नयण पर दमे*
*आप सत्य सुर एक,भवन अविलंब चल भमे*
*आप सत्य सुर एक,धोम वैशाख पर धमे*
*अविनाश एक सुर सत्य आज,नही कोई सत्य नर देव है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,टक नित्य नमन मित टेव है*
(9-3-2019)
*मिहिर मन्न महाईश,द्वेश क्रम दर्दको दारे*
*मिहिर मन्न महाईश,विश्व कल्याण विचारे*
*मिहिर मन्न महाईश,तन्न भवताप को तारे*
*मिहिर मन्न महाईश,धर्म सव एकज धारे*
*सर्व धर्म पर सायतु,पौत्र गणे तुज प्राणथी*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित घड्या जीव मिहिराणथी*
(10-3-2019)
*आप देव अजवाश,उगेय अगउ पथ अमणा,*
*आप देव अजवाश,श्वास तुज पर सहु समणा*
*आप देव अजवाश,द्वेष नय कोउ पर दमणा*
*आप देव अजवाश,बाज नजरे कहु बमणा*
*अधर अर्क अधिपत्य आप,जीव अमाणो जाप तु,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अज अमर मित पद आप तु*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
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