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10 अप्रैल 2019

|| सूर्यवंदना छप्पय || || कर्ता मितेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||

|| सूर्यवंदना ||
|| कर्ता मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||
|| कळश छप्पय ||

(1-4-2019)

*🙏🌞सूर्यवंदना🌞🙏*

*नित निराल नव नाथ,पुरांतक प्राण प्रमेशर,*
*नित निराल नव नाथ,पृष्ठ पद आभ अवन पर*
*नित निराल नव नाथ,अभय सुर अस्त नही अर*
*नित निराल नव नाथ,सहज समरण तुज सत सर*
*ग्रह अस्ठ गुणा तुज पर गुरु,नित उजळा नभ नाराण,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,पुरणा मित प्रतिपळ प्राण*

(2-4-2019)

*परभाते नित पुण्य,दियण हैया हर दाता,*
*परभाते नित पुण्य,भाग अमणु तुही भ्राता*
*परभाते नित पुण्य,गर्व गुण जन सुर गाता*
*परभाते नित पुण्य,पुरण जग्गे प्रख्याता*
*हाजर हमेश धर कु हयात,(इ)पुण्य अमारो प्राण छे*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,पट मित धरु परमाण छे*

है नारायण आ धरती पर अमने तमारो प्रकाश मळे छे ए अमारु कैक पुण्य हसे पेहला नु,के आ देवभूमि मा जन्म मल्यो,अमारा प्राण आप थकी शक्य छे,तमारा गुण तो सर्व गुणीजन गाय छे,एवा पुण्य प्रमाणी देव मारा आपने नित्य वंदन,

(3-4-2019)

*खरो तमारो खेल,पाप अम शु दन पळीया,*
*खरो तमारो खेल,ताप कम तु जन तळीया,*
*खरो तमारो खेल,नाथ जीवन तु नळीया,*
*खरो तमारो खेल,बाथ भड़ ना बळबळिया,*
*भूल जणावो भुवनपति,तम रिदय का कपरो तप,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,जद जापेय मित मन जप*

है नारायण आ तमारा खेल खरा हो,दिवसे दिवसे तमारो ताप केम तमारा बाळ ऊपर पाथरो छो,आप तेजिला छो अमे जाणीये छिये ,पण एवा ते शु पाप अमारा के आटलो ताप तमारे अमारा ऊपर पाडवो पड्यो,जेम घर मात नळीया(नेवा) होय जे घर मा आवता वरसाद,धुळ, ने फळीयां मा फेके छे,एम अमे तमने अमारा जीवना नळीया समजिये छिये के तमे अमारा ताप ओछा1 करो,आ तो तमे ज अमने बाथ भीड़शो तो अमे क्या जाशु व्हाला,माटे है भुवनपति शु भूल थई ए जणावो,अमारा समरण मा कै भूल होय तो नारायण देव अमने जणावजो,आपने नित्य वंदन

(4-3-2019)

*हळळ ताप होंकार,भळक जळ थळ भळकारा,*
*हळळ ताप होंकार,थळक दळ पर थळकारा,*
*हळळ ताप होंकार,फळक फळ मन फळकारा,*
*हळळ ताप होंकार,चळक पळ पळ चळकारा,*
*ध्रम लोह काट चढ़ धळबळे,खुद काट खलकना खार,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,सुर दुरविकार मित सार*

(5-4-2019)

*काल न जानत कोइ,सभे सुर जानत सारण,*
*काल न जानत कोइ,किला धर कालसु कारण,*
*काल न जानत कोइ,वियोग न वात विसारण*
*काल न जानत कोइ,अही पल एक उधाराण*
*चो मुख ज्ञाने चकोरमती,अति भेद सूजाव अरक*
*पट निहर प्रौढ़ धराय परे,पद आप गुणो मित  परक*

(6-4-2019)

*सुधा सुमन समराट,रजत पट रैयत राजे,*
*सुधा सुमन समराट,असर अवनाखी आजे*
*सुधा सुमन समराट,बिरद भगवोय बिराजे*
*सुधा सुमन समराट,कलम चाले तव काजे,*
*नित वंदन कर नारायणा,मूज निर्मल थावत मन*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,तुज किरण मित भरी तन्न*

(7-4-2019)

*बिरद ब्रह्म दियु बाल,ख्याल मुझ मन गर खायो,*
*बिरद ब्रह्म दियु बाल,किरण कलमे कलपायो,*
*बिरद ब्रह्म दियु बाल,एक मुख चौथ उपायो*
*बिरद ब्रह्म दियु बाल,ब्रह्म सम ज्ञान बसायो*
*कुण कथ्यों नाय किरपाणको,ब्रह्म रूप सुरो बलवान*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित गण्यो भेद परमान*

है नारायण,आ सृस्टि पर वेद विधाता ब्रह्मा छे,एम केवाय के सृस्टिना सर्जिता ए छे पण आ बाल तमने बिरदावे छे के तमे ब्रह्म रूप ज छो, केम के सृस्टि नु सर्जन तमारा थकी ज छे,तमे तमारा किरणों द्वारा आ सृस्टि पर आवता काल नी नित्य रचना करो छो, एमना पर देखरेख तमे ज राखो छो,ब्रह्मा चौमुखी छे तो तमे पण आ सृस्टि मा दरेक खुणे दरेक जग्याये नजर राखो छो अने आ लोकवासी ना रखोपा करो छो,सर्व ज्ञानी छो एटला माटे मारा ब्रह्मरूप देव तमे ज छो,एवा है नारायण कोइये तमने ब्रह्मरूप तो ना कह्या हु पेहली वार तमने आ ब्रह्मरूप बिरदावू छू एवा देव ने नित्य नमन,

(8-4-2019)

*जोग जाप जयदेव,भोग तापे जन भगती*
*जोग जाप जयदेव,ज्वलन उर्मी नर जगती*
*जोग जाप जयदेव,सहज छाया बन शगती*
*जोग जाप जयदेव,रखण ममता दल रगती*
*सुर तात समो तन सारतो,सद शगती दल मन साय*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित सुर नित मन महमाय*

है नारायण,तमारा आवा आकरा ताप थी तमारा बाळ ना तन निर्मल तो करो छो पण मा शगति सदाय प्रकृतिमा छाया स्वरूपे आ लोक ना तन मन पर वरही रहेल वधारे ताप ने दूर करि,ठंडक आपे छे मन ने शांति आपे,छे आम जीवन मा नित्य आप जरूरी छो पण है नारायण आ तापने घटाडो जेथी लोको बाहर निकडी नित्य एमना कार्य पूर्ण करी शके,आवा सुरशगती ना समन्वय ने कारण आ लोक जीवन टकी रहयूं छे माटे है नारायणदेव अने माँ शगती सदाय अम पर आपनी कृपा वरसावजो,

(9-4-2019)

*संग शगत सुर सात,जगत जननी सम जायो,*
*संग शगत सुर सात,आप ब्रह्मांड उपायो,*
*संग शगत सुर सात,प्रखर  प्रथमी परसायो*
*संग शगत सुर सात,मंद हास्ये मलकायो*
*शगती सिवा न सुर शोभतो,चोथेय चंद्र चकोर*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित कुष्मांडा कर मोर*

है नारायण,आ जगत मा शक्ति वगर कोई पद  पुरु नथी,आज आवा रूडा चैत्री नवरात्रि नी चौथ एटले मा कुष्मांडा नो पूजन दिवस,केवाय छे के माँ कुष्मांडा ना मंद हास्य थी आ सृस्टि उजागर थई,पण मा नु योगदान एम एटलुज  बाप नु योगदान छे,आप आ लोक ने उजागर करी एने पिता समान महत्व धरावो छो,माटे  शगती वगर सुर पण अधुरो छे,एटले आज ना चौथ ना चंद्र नु तेज अलग ज हशे,एवा प्रकाशी देव अने मा कुष्मांडा ने नमन

(10-4-2019)

*पंच रत्ने परीपुर्ण,सुरज समराट सवायो,*
*पंच रत्ने परीपुर्ण,प्राण पुण्यारथ पायो*
*पंच रत्ने परीपुर्ण,जोर नव नाथ जमायो*
*पंच रत्ने परीपुर्ण,तिर्थ आभे टंकायो*
*नभनाथ निरंजन नरपती,सुर जयति आभ समराट*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,जप जाग्यो मित जळकाट*

*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*

*कवि मित*

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