*|| सूर्यवंदना ||*
(11-05-2019) थी (20-05-2019)
*(11-05-2019)*
*आँख नजर पर अरक,आज नव रूप जे आखु,*
*आँख नजर पर अरक,चयन मन हेत को चाखु,*
*आँख नजर पर अरक,देव दातार दयाला,*
*आँख नजर पर अरक,नित्य रूप नवीन नयाला*
*वादळ अरुण मनहर विशाल,आ सवार अश्व असवार*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,विण बोल्ये मित कर वार*
*(12-05-2019)*
*कर्म कथा पर कोर,डोर बंधे दुडीयंदा,*
*कर्म कथा पर कोर,फलक भव काटे फंदा,*
*कर्म कथा पर कोर,धर्म किरणा सम धारी,*
*कर्म कथा पर कोर,वीर तू गगनविहारी,*
*नित लेख कर्म ना नवपन्ना,रवि कोल करंता राण*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,भव भाग्यधणी मित भाण*
*(13-05-2019)*
*भगती करता भेद,खुले भव सार खुलासा,*
*भगती करता भेद,अमल अवनी पर आशा,*
*भगती करता भेद,जीव गण दलने जारी*
*भगती करता भेद,विश्व पर तेज विखारी*
*एकांत वास नभ आप अरक,भव पर नयणा जो भेद*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,वहिया बन मित सुरवेद*
*(14-05-2019)*
*प्रभु पराक्रम प्रीत,रीत हय सागर राखी,*
*प्रभु पराक्रम प्रीत,दैत्य पर रीझवण दाखी,*
*प्रभु पराक्रम प्रीत,सदा सहियारो साथी,*
*प्रभु पराक्रम प्रीत,भुवन भजियो भवभाथी,*
*जीव ज्योत परासम जागति,जगदीश्वर आप जभान*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,गुण मित बेली सुर गान*
*(15-05-2019)*
*सेज सुरसरी सोम,व्योम विखरी वैरागण,*
*सेज सुरसरी सोम,सजी कश्यप सुरांगण ,*
*सेज सुरसरी सोम,तंकिहा तमसा टसमस,*
*सेज सुरसरी सोम,रम्य सौरभ छांटण रस*
*एक आप अणु अस आंतरे,जस खाट्यो जोर जहांन*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित सुर सजियोय महान*
*(16-05-2019)*
*कुंड धरा अम कोण,स्नान वादळ थी सार्यो,*
*कुंड धरा अम कोण,ठार पर तापण ठार्यो,*
*कुंड धरा अम कोण,हरख हेली हंकारे,*
*कुंड धरा अम कोण,नित्य परकाश निखारे,*
*आ कुंड धरा नु कोड अमो,नाराण थकी लइ नाम,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,धर सुरमित तारु धाम*
*(17-05-2019)*
*देव विश्व दातार,अवन अंजळ अधिपालक,*
*देव विश्व दातार,चपळ मोभी भव चालक,*
*देव विश्व दातार,अर्पणे लोक अपाव्यू*,
*देव विश्व दातार,विश्व रूप बीज ते वायु,*
*परमाण लोक प्रति परमदा,धरणी परवायो धान*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अमनी सुर मित पर आन*
*(18-05-2019)*
(आ धरती पर जेम खेडूत खेती करे छे जेथी आपडे धान खाई शकिये पण एक विचार एवो थयो सूर्यदेवे आ धरती ने बनावा,एमा प्राण उगाडवा,जल,वायु,प्रकाश वगेरे खातर,पाणी भेळवी आ धरती ने केवी उगाडी,जेमा थी प्राणवायु शक्य बन्यो,आवा खेडूत रूपी सूर्यनारायण देव ने वंदन रूपी छप्पय)
*खरो खलक पर खेल,सुरज खेडू बन सजियो,*
*ब्रह्म ज्ञान हर बोध,भुवन माता मन भजियो*
*कर हळ वादळ काज,रास विजळी रथ राखी*
*अविरत खेती आज,धरा लीलवण तप धाखी,*
*हंकार अश्व रथ हर हमेंश,दन प्राण उगाळ्यु धान*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,भजियो गुण मित भगवान*
*(19-05-2019)*
*सारंगे सथवार,रंग साधू सा रंगी,*
*सारंगे सथवार,संग समरंग सु रंगी,*
*सारंगी सथवार,भंग भरमंड अ भंगी,*
*सारंगी सथवार,चंग नित मुरत सु चंगी,*
*सुर सारंगे समरांगणा,तम रजियो रंग त्रिपाण,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,सा रंगे मित समराण*
*(20-05-2019)*
*सत पर सजग सभान,विश्वमाया वीर वंदन,*
*सत पर सजग सभान,नित्य नर मोही नंदन,*
*सत पर सजग सभान,जलाथल योवन झरणा,*
*सत पर सजग सभान,कृपा किरतारी करणा,*
*घट उमड़ घोर भगती धडाण,सत निरख्यो नयन सभान,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,आलम सुर मित अरमान*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
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