*|| 🌞सूर्यवंदना🌞 ||*
*|| कर्ता : मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
*|| छप्पय ||*
*🌞(01-07-2019)🌞*
*तप्प समो बळ ताप,दैव ऋषियन को दार्यो,*
*तप्प समो बळ ताप,खलक दरिया सम खार्यो,*
*तप्प समो बळ ताप,महा रगतासुर मार्यो,*
*तप्प समो बळ ताप,त्रिकुटधर लोकन तार्यो,*
*सम ताप वधु बल श्राप सुरों,जिण महिमा सकल जणाय,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,गुण मित नित प्रहरसु गाय*
*🌞(02-07-2019)🌞*
*जयति नाथ सुर जगत,पवन गति बांध प्रलंबी,*
*जयति नाथ सुर जगत,किरण नाखेय कसुंबी,*
*जयति नाथ सुर जगत,भगत विनवे सुण भाणा,*
*जयति नाथ सुर जगत,प्रित मुज प्राण पिराणा,*
*जगनाथ जीवन अम जागतु,तव थिय जीवन तन मोल,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,आप्यू मित पद अनमोल,*
*🌞(03-06-2019)🌞*
*चंदन चित्त चकोर,कोर छेडो दल कारी,*
*चंदन चित्त चकोर,पोर पड़ता पतहारी,*
*चंदन चित्त चकोर,उभय अम आरद आशी,*
*चंदन चित्त चकोर,किरण दर्शन अम काशी,*
*हेताळ हृदय थी व्हालहया,दे चंद शितलता दान*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मन मोभी मित परमान*
*🌞(04-07-2019)🌞*
*प्रगट्या पेहला पुंज,धरा करणावत धाम्यो,*
*प्रगट्या पेहला पुंज,जश्न जगनाथे जाम्यो,*
*प्रगट्या पेहला पुंज,रही तियार जे रथडे,*
*प्रगट्या पेहला पुंज,महा रथ राख्यो मथडे*
*रणछोड चढी रथ राणजी,संगे नभ सुरज साथ*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,साचो मित पथ संगाथ*
*🌞(05-07-2019)🌞*
*आप भरोसे आज,अमो रहता अजवाळे,*
*आप भरोसे आज,जीवन बाध्यु जग जाळे,*
*आप भरोसे आज,श्वास चाले सथवारो*
*आप भरोसे आज,अधम अवनी तल आरे*
*भवनाथ भरोसो भान भलो,गुण नाथ अमो गुरुदेव*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,हरी हर मित करणो हेव*
*🌞(06-07-2019)🌞*
*परम ज्ञान परमान,अमन अभिमान उजारो,*
*परम ज्ञान परमान,मति कुट फंद कु मारो,*
*परम ज्ञान परमान,नित्य सुरता तुज नयने,*
*परम ज्ञान परमान,चित्त पर्वत सम चयने,*
*तुज ज्ञान प्रमाणन तारते,आ तमस चड्यू जे तन*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,महेक्यु मित धरणु मन*
*🌞(07-07-2019)🌞*
*विध्या पद विदवान,जड़धरा विना न जोगी,*
*विध्या पद विदवान,भवन पर बन्यो न भोगी,*
*विध्या पद विदवान,अखिल ब्रह्माण्ड ग्रही ए,*
*विध्या पद विदवान,जगत मुल आप कड़ी जे,*
*सुर जिह शारद मात सूणो,तुह विध्या अवनी तेज*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,सविनय मित विनवू सेज*
*🌞(08-07-2019)🌞*
*भाव भर्यो भगवान,मृदु हय कोमल मन्नो,*
*भाव भर्यो भगवान,प्रहर पळ बदले पन्नो*
*भाव भर्यो भगवान,नित्य सद करम नितारे*
*भाव भर्यो भगवान,चहकतो लोक चितारे*
*कोमल चित भावे किरणवसु,रूदिया सुख भरियन रीत*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मन समरण साचोय मित*
*🌞(09-07-2019)🌞*
*अस्त न थाता आप,भले जग राखे भ्रमणा,*
*अस्त न थाता आप,रहत आभै घुम रमणा,*
*अस्त न थाता आप,सुवे जग निशा सहारे,*
*अस्त न थाता आप,निशा तुही नयन निहारे,*
*तुज नयन सदा खुल्ला तपेय,नही सोवत जग ने न्यार*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,समजो मित जगरूप सार*
*🌞(10-07-2019)🌞*
*वसु विधान कर वरळ,सु भट चळ मनु उदात सर*
*वसु विधान कर वरळ,प्रगट घट नभ जल थल पर*
*वसु विधान कर वरळ,हंस ब्रह्मांड हयाते*
*वसु विधान कर वरळ,अंश परिधान उदाते*
*दल उदध भर्यो धर देव ते,शगति तव करे अम साय*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,भगति सूरमित भवनाय*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें