*|| नशो ||*
*न शोह रसो नरशोह नशो,नर शोय नशो हरशो नहशो,*
*न मोह रसो नरमोह नशो,जर तोय जतो वरशो जहशो,*
*न तोह रसो नरतोह नशो,वर तोय वतो करशो वहशो,*
*न रोह वशो नवशोह नशो,मित होय असो परसो महसो,*
आ दुनियाना समय मा पण केवो नशो छे,जेनो रस उतरतो ज नथी,जेम नर ने नारी नो,पण जगत नु एक सत्य कोई पति ने एनी पत्नी नो नशो कोई दी न होई शके ,प्रेम होय पण नशो अलग वस्तु छे,जे साचो नशो फक्त प्रेमिका नो ज होय, संभाळ नो होय,नशोतो कोई ने वस्तुओं नो नशो पण होय,एटले केवानो मतलब नर ने जे शोभे छे एनो पण नशो होय नथी शोभतु एनो पण नशो छे,तोय नशो एवो भाव छे के माणस एमा हरातो जाय छे जेम डुबे इम हारे,एटले कोई पण नशो नर तारे नही, एटले एने हरशो पण नही,जो तमे नशा ने हरी गया तो ए तमने हरी लेशे,
जेम मोह वधे एम नरमोह(मेढो) थतो जाय,अने लाकडु जेम वधु अग्नि थी प्रेम करे तो लाकडु जरी जाय एम माणस जरी जाय मोह मा तोय जस लेवानी चाहे जरतो जाय छे,वरतो नथी,तोय आ नशो माणस ने नडतो ने नडतो ज,पण माणस जात ज एवी के मुंडाई जाय तोय वही जाय एमा,
माटे ए नशा ने रोह थी वशी लिये,तो माणस ने एक राह चिंधि शके,भले ए छोडता घणाय दिवसों के मास निकडी जाय,,,
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*मित*
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