*||रचना : कृष्णरासस्टकम ||*
*|| छंद : पद्धरी ||*
*|| कर्ता : मितेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
*मत भय मलंग जन पद मलिन,दत नाम सतत कर भजन दिन,*
*जय जय कृपाल घट जपत जाप,अति रमण चंद मित कृष्ण आप(1)*
*ठुम ठुमकताल बज मृदंग ढोल,बजताक बहक मद घटत बोल,*
*करताल न्याल हर भक्त कैक,अरु चढ़त नाद हर हर अनेक(2)*
*संगम सरित समदर सुजान,तट रास रच्यो कर चड्यो तान*
*सा रंग अंग सा रंग सजे,बहु ताल बीरंगी नाद बजे(3)*
*रण झण रण झांझर झणक रणे,कम कम पद कानड रजत कणे*
*गण गोप गुवालिय गहन गति,वद श्रावण आठम वाट वति(4)*
*मयूराव कळा रसपान रास,अति भर उमंग मन रची आस*
*पहुड़ा घट वांसळ ध्यान पमे,खेचर तह वन मही वखत खमे(5)*
*हर नाथ सती उमिया हयात,ब्रह्मा मुनि नारद करत बात*
*जोवत प्रभु बाला कृष्ण जोग,सजियो जशोदा नंदन संयोग(6)*
*मधरात रंग वसु धर महान,जमुना तट सत रंगीन जहान*
*दस रंग अंग अठ अज द्रशाय,वद नाम कृष्ण मुख जन वहाय(7)*
*आठम अनंत जग पर उजास,सुध श्याम रंग मित भर सुवास*
*पदधरी छंद तुव रिदय पास,रमणा संग याचुह कृष्ण रास(8)*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
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