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5 सितंबर 2019

आई श्री आवड़ चरित्र महिमा रचियता जय सिंह सिंढायच मण्डा राजस्थान

🌸 आई श्री आवड़ चरित्र महिमा 🌸
                       🌹दोहा🌹
जग मावड़ आवड़ जयो,सगत सरब सिरमौड़ ।
आगै बड़पण आपरै,  हुवै न   किण  सूं  होड़ ।।
बडा    बडी   भुजबीस   हो, राज   तैमड़ाराय ।
क्रोड़ वखत पदकमल में,नमन करूं सिरनाय ।।
                 🌸छंद रोमकंद🌸
कलिकाळ महाविकराळ हळाहळ,घौर कुजोर बढै जवनां ।
भव भार उतारण दास उबारण, कारण याद करे वचनां ।
बिसरी नहि अम्ब दयाळ  अजै, गण चारण ने वर राज  दयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ  जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। १ ।।

उपहास सहै  सुत बंश बिना, घण मामड़ चित्त उदास भयै  ।
शरणै जद मामड़ सात समै,  घण आस लियां     हिंगल़ाज  गये ।।
अरदास सुणी उर आण दया, हरसाय हिये वरदाण  दयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो  ।।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। २ ।।

अवतार धरूं धर सात सरूपम, पूरण तो सब     आस करूं।
लिय साथ में भैरव भ्रात महीरख, बंश बधारण तौय सरू।
उतरूं तव आंगण आभ विवाण सूं, श्री मुख ऐम उवाच कयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ  जयो ।
जिय माड धिराणिय माय जयो  ।। ३ ।।

धिन आठ सदी धिन आठ ही संवत, मास मधू नवरात मही ।
अवतार धरे नवमी शुभ वासर, थावर  आण सुभौर थही ।
निज भैरव भ्रात महीरख साथ में, धारण सात सरूप कयो ।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाल़ जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। ४ ।।

दुसकाल़ महाविकराल़ लखी जद माड धरा मझ आप मया ।
कर मात दया जन संग सभी, गढ नानण सिंध प्रदैश गया  ।।
चरखा बिन पाण चलाय लखी जन, कातत सूत अचंभ कयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। ५ ।।

हद कौड़ कियां नद नीर नहावत, साथ मिल़ी निज बैन सभी ।
छिपियौ नृप म्लेच्छ तणो सुत छूवत, पैरण के पट आय तभी।
तन नागण रूप सु धार सभी, नद नावत नीर पयाण  कयो ।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। ६ ।।

जवनापति नीत अनीत लखी, सब मात क साथ पयाण कियो।
मझ मारग मांय महानद मात नें, होय अजांण न जांण दियो ।
कर कोप घणो नद.हेक चल़ू भर, सोख मया मझ मग्ग कियो ।।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ  जयो ।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। ७ ।।

थट पूरण कौस कई लग हाकड़,नीर अथाह बहै भरियो ।
मदमाय बहै मरियाद मिटाय'र ,कष्ट बढ़ा जन चैन हर्र्यौ ।।
करुणानिधि कष्ट मिटावण कारण, हैक चल़ू भर चाख लयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय   लोवड़वाल़  जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो   ।। ८   ।।

नद हाकड़ सीर समैत निठा, कर आनन पान अलोप करे ।
उगडै दल़ मौतिय मांय अमौलक,कोड़ सभी कर ठांम भरे ।।
कर क्रोड़धजां निज दास कई, दुख दारिद माड नशाय दयो ।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। ९ ।।

धर माड सिधावत जाणं जदै मन म्लेच्छ महीपत क्रोध जगे ।
मग रोकण मात तणो सठ आतुर, फौज चढायर लार भगे ।।
कर कौप हुँकार भरन्त हि  आवड़, सैन समैत भसम्म कियो ।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो ।।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। १० ।।

कुल़ सैन समैत नशाय खळां ,अवनी अघ आप उथाप तभी ।
थिर राज सुथाप समा जदु भाटिय , सिंध धरा बगसाय सभी ।।
जस कीरत आप अमाप दशोदिश, छावत मौद उछाव छयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो ।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। ११ ।।

जन जाणं जदे जगमात ने आवत, होड़  हिये हद मोद भरे ।
पग मंण्डण मग्ग बिछायर मौतिय, स्वागत चौक पुराय करै ।।
सरसै सुख सातहि सात सरूप में,  लाभ        अमौलक  लौक लयो ।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो ।।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। १२ ।।

रण कंकण रात रुके मग जावत, पन्नग पीवण भ्रात डसे ।
जद जाणिय हाणिय प्राण सहोदर, लौवड़ ताणिय प्राचि दिसे ।
झट लौवड़ औट  लुकाय रवी रथ, ऊगत बैग रुकाय दयो ।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो ।।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। 13 ।।

पद दाब दिराय थिरा गति थामिय, सामिय लौवड़ तांण रवी ।
अनुजा निज खोडळ भेज पयाळ सु, पायस बेग मंगाय तभी ।।
झट भ्रात जिवाय पिलाय अमी, रवि षौड़स पौर रुकाय लयो ।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ  जयो ।।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। 14  ।।

विनती सुणके घण राव तणू,किरपा उर आप अती विकसै ।
धन सम्पत आप समाप मया, मन भावन माड धरा बगसै ।।
बणके  कुळदैविय  सांग बिराजिय, भाटिय वंश सनात कयो ।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ  जयो ।।
जिय माड धिराणिय माय जयो।। 15 ।।

लख माड  धरा मझ त्रास महा, झट मैटण आप   उपाय करे ।
निज पांण त्रिशूळ हि तांण दयानिधि, तैमड़ दाणवं प्रांण हरे ।।
गिरि कंदर अंदर दैय शिला, निज पाण सुं थाण  महाण थयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।। 16 ।।

कर धार त्रिशूळ महा सुख मूळ  सबै विध सेवक सायं  खड़ी ।
जुग आद अनाद सरूप नमो, सुरराय सुशौभित सिंह चढ़ी ।।
वरदा वरदाय सदा सुखदाय, निभाय मया निज दास लयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ  जयो।
जिय माड धिराणिय माय जयो  ।। 17  ।।

विनती वरदाय करूं पड़ पाय, सुणों सुखदाय मया श्रवणां।
तन मानुष पाय गमाय वृथा, गुणगान न गाय सक्यो रसना।
भगती बगसाय सदा सुखदा, शरणै "जय 'बाल़" नें राज लयो।
जय मावड़ आवड़ बीसभुजा बड, लाखिय लौवड़वाळ  जयो ।
जिय माड धिराणिय माय जयो ।।18 ।।
जिय मामड़ियाळिय माय जयो ।
जय  श्री  जय  तैमड़राय  जयौ ।।     
             🌹दोहा🌹
प्रणत शरण निज पात नें, सरसावण सुख सात।
सात सरूपम सौहणी, जय आवड़ जग मात।।१
शौभित  दिव्य  सरूप  में,सातूं बहिनां साथ ।
भळकै आभा भांण सम, जय आवड़ जगमात।।
                      🌸छप्पय🌸
जय आवड़ जग मात,धजाबन्ध  माड धिराणी ।
जय आवड़ जग मात,कळा  पूरण कतियांणी ।।
जय आवड़ जगमात,सकळ कुळ भांणसुहांणी।
जय आवड़ जगमात, प्रगट तिहुलोक पुजाणी।।
तुंहि राय तखत मढ़ तैमड़ै, तुहिं आस पूरणी डावड़ां।
जुग पांण जौड़ शिशु "जय "जपै, जयति मात
जय आवड़ा ।।

जय आवड़ जग मात, बावन मेख बिडारै ।
जय आवड़ जग मात,नांम बावन निज धारै ।।
जय आवड़ जग मात,बावन धांम विराजै ।
जय आवड़ जग मात,वीर बावन संग साजै ।।
प्रिय धाम परम राजै प्रसन्न, तुंहि प्रणत हैत मढ तैमड़ा।
जुग पांण जौड़ शिशु "जय "जपै, जयति मात जय आवड़ा।।
                     
                    🌹दोहा🌹
हुं पायक पद कमल़ रो, प्रतिपाल़क तूं पात।
विरद अभय वरदायिनी, जय आवड़ जग मात।।१
भाव नशो हिरदे भरो, हरख धरो सिर हाथ ।
आस पुरण व्रद आपरो, जय आवड़ जगमात।।२
शरणागत निज दास नें, सबविध करत सनात।
है आदू बड़पण आपरो, जय आवड़ जगमात।।

    विनीत :- जय सिंह सिंढायच मण्डा      
                       (राजसमन्द )
                     7790934036

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