, || मोगल आवो मांडणे ||
, रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
माडी तुंतो भोम ने ढांके रे काळो भेळीयो
माडी वळी जबुके सूरज जयोतना जोरे रे
मोगल आवो मांडणे,,,,,
माडी तारु त्रिहूळ रे भाळी ने चमक्युं तालकुं
माडी एना तेज ना फूवारा व्रेमंड फोरे रे
मोगल आवो मांडणे,,,,,
माडी तुंतो उदो रे उदोये करती आवती
माडी त्यारे कंकंण खणंके चारे कोरे रे
मोगल आवो मांडणे,,,,,
माडी जेवी डाढाळी करणी रे देस णोंक मां रे
माडी ऐम मुंछाळी मोगल बेठीय मोरे रे
मोगल आवो मांडणे,,,,,
माडी तारां आखी रे विहोतर लेती वारणां
माडी तने चारणो उपासे चौटे ने चोरे रे
मोगल आवो मांडणे,,,,,
माडी तुने जाजी रे आराधी जोगी दानीये
माडी ऐने खेलव लई ने आयल खोळे रे
मोगल आवो मांडणे,,,,,
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