कवित
सांया जी जूला नी जन्म जयंती प्रसंगे समर्पीत
प्रभू के परम भक्त करी हठ कोलवाने
बलवंत फेरी बार दर्श ही दीखायो हे,
बेठे थे कचारी बिच थार्यो वस्त्र हरीहूको श्याम के समीप रहे नाम जूलासांयो हे
मांडण की महान्तासे बढे हाथ मूरत छे
जगमे प्रसिध शिर पाघ बंधवायो हे,
कहे *दिलजीत* बाटी ऐसीहे
हमारी ज्ञाती वोहे बडभागी जीन्हे
यामे जन्म पायो हे
सांयाजी ने रदय थी वंदना
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