सवेॅना दु:ख हरनारी माता शकितनी उपासना केवी रीते विसरी शकाय ?
शकितनी उपासनानुं महत्वनुं ऐक कारण ऐ पण छे के शकित मातृस्वरुपा छे. तेने देवी-रुप के मातृस्वरुपमां पूजवामां आवे छे.
माताना ह्रदयमां वात्सल्य तो हंमेशा मोजुद होय छे ते करुणामयी छे, दु:ख दूर करनारी छे. भकतोनी मुश्केलीओ तेओ सहन नथी करी शकता ऐटले ऐवुं कहेवाय छे के शकितनी उपासना करवाथी तत्काळ फळ मळे छे अने मुश्केलीनुं निवारण पण जल्दी आवे छे.
हिन्दुओमां प्राचीनकाळथी घमॅना बे पंथ चाले छे, ऐक तो पिता तरीके पुजातो शिवपंथ अने बीजो माता तरीके पुजातो शकितपंथ.
शिवस्वरुपने पुजनारा माटे हिमालयमां आवेला बद्रिकेदारनाथनी यात्रा जेम अंतिम अने छेवटनी मनाय छे तेम शकितपंथमां शकितपुजको माटे माता हिंगळाजनी यात्रा अंतिम गणाय छे. चारण समुदाये आ वात खास घ्यानमां लेवा जेवी छे. माता हिंगळाजनुं स्थानक हाल पाकिस्तानमां आवेलुं छे.
तो सवेॅना दु:ख हरनारी माता शकितनी उपासना केवी रीते विसरी शकाय ?
जय माताजी.
प्रस्तुति कवि चकमक.
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