.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

30 सितंबर 2017

|| नवरात्र छंद || || कर्ता मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||

*||रचना: नवरात्र छंद ||*
     *|| छंद : दुर्मिळा ||*
*||कर्ता :मितेशदान महेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*

घुमरी नभ हाथ हिंडोल छबि सुर बाजत मेघ मल्हार तणा,
दिप जाचत रुप सु भाण जिन्हा गुण राचत तेज अपार घणा,
चकडॉळ चढ़े नव खंड नेजाळीय नेह प्रमेह सु गोख भमे,
महमाय मनोरम आध्य शक्तिय वीस भुजाळीयु रास रमे,(1)

अनिल सलिल गुलाल अबिल  सुगंधीय फूल फॉरम लगे,
झळकाट झळ्यो कुम्भ जार उगा बीज थापण वाड़ीय स्थिर जगे,
प्रथमें नीर छंटण ड़ट्टण पाप सु काट्टण फंद दुताय दमे,
महमाय मनोरम आद्य शकत्तीय वीस भुजाळीयु रास रमे,(2)

भरखे भंड भोम का भार हुता  भर के निश वित्त भू चित्त चरे,
अरु रीत की जीत दीपावण मावण छल पे छित की भीत भरे,
महके धर मल्लक छोहन क्रीत न होइ पलित कु कम कमे,
महमाय मनोरम आद्य शक्तिय वीस भुजाळीय रास रमे,(3)

रपटे जद राजल रीझ रखे नह को भूपते रझवाट रोळी,
किये भोम थपाटीय वेगळी क्रोधित राज कियो छिन्न भिन्न खोळी,
इहित किये दैवी वार लिए सिंहमोय समी जग आण समे,
महमाय मनोरम आद्य शकत्तीय वीस भुजाळीय रास रमे,(4)

वरणी नील आभ धरी टिलडी झळकी  भाल तेजन मुख परे,
नवे ग्रह लिया सज बांध करे चूड़ला खणकावत ताल धरे,
धृबांग धृजावत नाद मृदंग बजावत मेघन घोम धमे,
महमाय मनोरम आद्य शकत्तीय वीस भुजाळीय रास रमे,(5)

परिमाण प्रगट्ट प्रभंजण रंजण रेख ज्यूँ दंभण घोर घटे,
अळ अंतर मंतर काट निरंतर जंतर जाप जदु  झपटे,
अद्य णिन्धार सार सुधार अरीदल पार उतार जगत नमे,
महमाय मनोरम आद्य शकत्तीय वीस भुजाळीय रास रमे,(6)

द्रुतकाल पछाड नगाड़ बजे कट कट सो फंदन काट कटे,
झट झाटक विकट पाठ पठे दळ त्राटक मारण शब्द रटे,
हुहुकार श्री कंठ गुंजावत गावत छंदय नाद वैभव जमे,
महमाय मनोरम आद्य शकत्तीय वीस भुजाळीय रास रमे,(7)

महिमाय तोळा कथू जाण अजाण जपु जगमात नमु करणी,
करणी शरणा तुज पाय लगा वर याचत *मीत* सूखा शरणी,
शरणी धरणी धर वंदन वंदन गेल प्रमेशरी चित्त समे,
महमाय मनोरम आद्य शकत्तीय वीस भुजाळीय  रास रमे,(8)

*🙏~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~🙏*

*कवि मीत*

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT