कवि श्री पिंगळसिंहभाई पाताभाई नरेला भावनगर राज कवि रचित एेक कविता
गजब हाथे गुजारीने ...
राग - काफी ताल :- दीपचंदी
गजब हाथे गुजारीने पछी काशी गयाथी शुं ;
मळी दुनियामां बदनामी, पछी नासी गयाथी शुं.... टेक...
दु:खी वखते नहि दीधुं, पछी खोटी दयाथी शुं ;
सुकाणा मोल सृष्टिनां, पछी वृष्टि थयाथी शुं ; ....1
विचार्युं नहि लघु वयमां, पछी विद्या भण्याथी शुं ;
जगतमां कोई नव जाणे, जनेतानां जण्याथी शुं ; ...2
समय पर लाभ आप्यो नहीं, पछी ते चाकरीथी शु.
मळयु नहीं दुध महिषिनुं, पछी बांधी बाकरीथी शुं.....3
न खाधुं के न खवराव्युं दु:खी थईने रळ्याथी शुं ;
कवि पिंगल कहे, पैसो मुवा वखते मळ्याथी शुं ...4
रचियता :- भावनगर राज कवि श्री पिंगळसिंहभाई पाताभाई नरेला
संदर्भ :- पिंगळवाणी मांथी
➡ आ रचना मोकलवा बदल श्री धर्मदीपभाई नरेला भावनगर वाळा नो खूब खूब आभार
पोस्ट टाईप :- मनुदान गढवी
वंदे सोनल मातरम्
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