. © || गमती आ गरवी गुजरात ||
. राग : भैरवी
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. राग : भैरवी
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
हारे मने गमती आ गरवी गुजरात ..(०२)
हे..ज्यां विरो ने सहीदो ना उभा छे पाळीया...
घोडा नी खेली घमसांण...(०२)
हे,.ज्यां जाडेजा जेठवा ने खळके रत खाळीया..
खाचर वाळा ने खुमांण...(०२)
हे ..ज्यां बहादुरो बंका दे दुनिया मां डंका ने..
पंकाता हाले प्रखीयात......हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||01||
हे..ज्यां विरो ने सहीदो ना उभा छे पाळीया...
घोडा नी खेली घमसांण...(०२)
हे,.ज्यां जाडेजा जेठवा ने खळके रत खाळीया..
खाचर वाळा ने खुमांण...(०२)
हे ..ज्यां बहादुरो बंका दे दुनिया मां डंका ने..
पंकाता हाले प्रखीयात......हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||01||
हे..ज्यां घुघवे घेघुर घोर सागर घुघवाट ने ..
नदीयुं ना खळ खळतां नीर...(०२)
हे..ज्यां साबर मही तापी ने भादर बनास भरी..
गजवे हीरण आखी गीर...(०२)
हे ऐवां ओझत ने आजी पण रेवा थी राजी जे..
तरबोळे खेडुत जगतात.....हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||02||
नदीयुं ना खळ खळतां नीर...(०२)
हे..ज्यां साबर मही तापी ने भादर बनास भरी..
गजवे हीरण आखी गीर...(०२)
हे ऐवां ओझत ने आजी पण रेवा थी राजी जे..
तरबोळे खेडुत जगतात.....हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||02||
हे ज्यां पोरहा नुं पादर ने लोडण नां लोई थी...
खीमरा नी खांभी खरडाय...(०२)
हे..ज्यां रांणो ने कुंवर ना रढीयाळा राहडा ने..
मांणेक नी मुंछो मरडाय...(०२)
हे..रंग विहळ ना वट ने नरसी ना नट ने जे..
मांमेरां भरतो मलकात.......हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||03||
खीमरा नी खांभी खरडाय...(०२)
हे..ज्यां रांणो ने कुंवर ना रढीयाळा राहडा ने..
मांणेक नी मुंछो मरडाय...(०२)
हे..रंग विहळ ना वट ने नरसी ना नट ने जे..
मांमेरां भरतो मलकात.......हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||03||
हे..ज्यां सोमनाथ द्वारिका ने ड़ंणकंता सावजो..
गीरनारी गरवो दातार...(०२)
हे ज्यां सोनल ने मोंगल सी सगती पण भगती थी
अंबा खुद लेती अवतार...(०२)
हे जेंणे जंगल ने जगव्यो ते सावज ने भगव्यो ई
चारण नी बाळा चरचात.....हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||04||
गीरनारी गरवो दातार...(०२)
हे ज्यां सोनल ने मोंगल सी सगती पण भगती थी
अंबा खुद लेती अवतार...(०२)
हे जेंणे जंगल ने जगव्यो ते सावज ने भगव्यो ई
चारण नी बाळा चरचात.....हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||04||
हे,.ज्यां नरमद ने दलपत ना गौरव लई गावता..
गांधी पण नरसी नां गीत...(०२)
हे..ज्यां हेमु परफुल काग नारण मेघांणी ने ..
मेरुभा मनडा ना मीत...(०२)
हे..रंग चारण जातो जे ईतिहासी वातो ने ..
जगवे छे रातो नी रात.....हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||05||
गांधी पण नरसी नां गीत...(०२)
हे..ज्यां हेमु परफुल काग नारण मेघांणी ने ..
मेरुभा मनडा ना मीत...(०२)
हे..रंग चारण जातो जे ईतिहासी वातो ने ..
जगवे छे रातो नी रात.....हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||05||
हे..ज्यां प्रिति मां प्रेत थतो मूग्ती विंण मांगडो ने..
होथल ने ओढा नुं हेत...(०२)
हे..ज्यां खांडणीये खांडी ने माथां खवरावतां..
देवायत दीकरा देत...(०२)
हेवा..चारण जोगीदाने गरजावी नीज गांने ..
व्हाली रा' नवघण नी वात.....हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||06||
होथल ने ओढा नुं हेत...(०२)
हे..ज्यां खांडणीये खांडी ने माथां खवरावतां..
देवायत दीकरा देत...(०२)
हेवा..चारण जोगीदाने गरजावी नीज गांने ..
व्हाली रा' नवघण नी वात.....हारे मने गमती आ गरवी गुजरात..||06||
रचना : जोगीदान गढवी (चडीया) मो.नं. 9898360102
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