, || भवाई वाळो भेख ||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
, गीत: सांणोर झुलणा
, दोहो
"कांडे पेरे कंकणां,पण, रज नई मां नी रेख
जो लई फरता जोगडा, भवाई वाळो भेख"
, गीत
कठण कळजुग मा जुवो केवुं बने, बहू रुपी बनी फरे बायुं
समजदारो जरा सांन मा समजज्यो, आंम अवतार ना लीये आयु, ०१
हजारो वरह नी तपस्या होय ने, भवो भव तणी जो होय भगती
जोगणी तोज अवतार ले जोगडा, छुंदणा कर्ये नई थाय सगती, ०२
मांडीयुं आ बधुं मलक मा मालवा, गांडीयुं गदोडे कैक गांडा
भेख लई भटकती कैक आ भुवण मां, खेल करवा जुवो लीये खांडा, ०३
कैक कंकू हथेळीम थी काढता, धुंणी ने बांधता कैक धागा
करे फाळा बधे सरम पण ना करे, बह बहे लुगडां बाग बागा, ०४
मोकळा केस ई करी ने मालती, सेह के सरम नई ऐक छांटो
गमे त्यां धुंणवा बेहती गाममां, फद्दीयां तणीं ई भरे फांटो, ०५
भवां नुं रुप लई भवाया भमे छे, नमे छे ऐमने कैक नेता
चारणो जुवे पण चुप बेसी रहे, कोई ना ऐमने कांई केता, ०६
कोई धुंणज्यो नही मात सोनल कहे, तमाहा करो छो केम तोये
बंध करजो हवे नाटको आ बधा, सूळी घा नई सरे सोये, ०७
ऐक बे नाम जो होय तो आपीये, घरा पर उमट्यां कैक घाडा,
सगतीयुं थवा जे करे सोखडा, वेवली तणां छे भर्या वाडा, ०८
भुवा ओ तमे के तमे तो भवाया, वेह करवा बधी केम वळगी
नाम ई सगतीयुं तणां तो नो लीयो, आई तो आ थकी साव अळगी, ०९
नागणी राफडा बार ना निकळे, ई बधी खेल ना करे आवा
जागती जोगण्युं जीवे छे जोगडा, दिखावा तणा नई ईने दावा, १०
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