कालाश्रय सूत कास्यपा, प्रांण तूं जगत पतंग
ज्योत पुंज च्रण जोगडो, रांण दीयूं लख रंग
हे भगवान सुर्य नारायण आप ना आधारेज तो समय गणना थाय छे माटे आप काल ना आश्रय दाता छो,समस्त जगत मा प्रांण भरनार पण आप छो, हे ज्योती पुंज आंम स्रुजन संहार ना अधिस्ठाता हुं आपने नित्य वंदन करुं छुं
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