आवी गया जो आप ह्रदय थी जशो नहीं
ऊजड न करशो बाग ह्रदय थी जशो नहीं
जे स्थान आप्युं छे तमोने ह्रदय महीं
ऐ स्थान दुर्लभ अती छोडी जशो नहीं
ऊजड न करशो बाग ह्रदय थी जशो नहीं
अमस्तो नथी मलतो आ संगाथ प्रीतनो
छोडी ने साथ प्रेम नो बीजे जशो नहीं
ऊजड न करशो बाग ह्रदय थी जशो नहीं
भटकवुं नथी आ "देव" ने जोवुं नथी कशुं
थंभी जावो हवे आप पण आगण जशो
नहीं
ऊजड न करशो बाग ह्रदय थी जशो नहीं
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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