--वजुद--
आज जहां मलबा सा बिखरा पडा है
कभी यहाँ ऐक शहर हुआ करता था
लीपट कर सो गया जो मौत की
आगोश में
वो कभी मुस्कुराता बच्चा हुआ
करता था
जांबाजों की शहादत से पाई है जो आजादी
कीसी जमानें ये भी गुलाम मुल्क हुआ
करता था
हैवानियत सी छायी है आज
कयुं हर तरफ
मीलता नहीं वो आदमी जो
ईंसान हुआ करता था
है कोई ऐसा मजहब,जो नफरत हो शिखाता?
ये और बात है के कभी ईमान हुआ करता था
कांपती है जो जमीन शैतानों
की आवाज से
"देव" यहां भी प्यारा सा
गुलिस्तां हुआ करता था
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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