चारण भण्यो न होय तोये ऐ युगने पिछाणी ऐने पेले पार जोनार दष्ट्रा छे. कोईने ताता तीर मारवानी जरुर नथी परंतु सामा व्यकितने ऐटलो तो ख्याल आववो जोईऐ के मीठाशथी पण चारणने सत्य उच्चारता अटकावी नहि शकाय...!
'चारण ' मुखपत्र अंक मांथी, आपणां संस्कार वारसाने वंदिऐ, लेखमांथी, कटार लेखक, अमारा मलकना गौरव समा श्री शिवदान गढवीना सौजन्यथी प्रस्तुति कवि चकमक.
बेचराजी नजीकना ऐंदला नामना नाना गामना नवलदान बारहट, ऐमनुं भणतर झाझु न होवा छतां आपणां गौरव समा अवाॅचीन कवि दादने नवलदाने कई रीते आवकायाॅ छे ते माटे तेमनी आ रचना जुओ.
दीवो तुं दाद छे ऐवो...!
दीवो तुं दाद छे ऐवो, कुळ भूषण काग जेवो !
पिता प्रतापसंग पूण्यथी, पाम्या दीकरो दाद !
कलमे तारी कामण कीघां, वदे न बीजो वाद !!
वेळुमां वीरडा जेवो, दीवो तुं दाद छे ऐवो...!
चारण चोथो वेद छे, ऐवो सौ जन पूरे साद,
पण पढयाने वेदने वांच्या, दुलियो ने कवि दाद.
शायर समंदर जेवो, दीवो तुं दाद छे ऐवो...!
शायर मळे सामटा त्यारे, दादने देता दाद,
कविओ केरी केडी कंडारीने, पदमां पूयाॅ प्राण.
तेजस्वी तारला ऐवो, राते राहबर जेवो..दीवो तु...
कवि कोई होय नहि ऐवा, दुलाने दादना जेवा,
ईत्तर कोई आज न ऐवो,
दीवो तुं दाद छे ऐवो...!
' नवल ' कहे नात उजाळण, देजो देवी दुजा दाद,
सरस्वती तारां छोकरांनो, सांभळी लेजो साद..
दीवो तुं दाद छे ऐवो, कुळभूषण काग जेवो...!
जय माताजी.
नोंघ : आवा कविओनी कदर थवी जोईऐ, दाढीओ वघारी चकता पहेरी, बीक लागे ऐवा खभे काळा लूगडा नाखी हाली निकळनारा कविओ पर हजारो रुपिया खचॅवा करता...! झुंपडीऐ कोक तो जाजो...!
आ लेख सारो लागे तो चारणी साहित्यना ब्लोग पर मुकवा विनंती. कवि चकमक.
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