कुंडळीयुं सउ काढता, ग्रह मां थाय गरक्क
जे दन साते जोगडा,तने, आंटा दिये अरक्क
हे भगवान सुर्य नारायण देवादी गण थी मांडी ने मांणह सुद्धा कुंडळी काढी ने ग्रहो नी दसा ने जोता होय छे पण हे नाथ ई बधाय ग्रह सातेय दीवस तारी फरता आंटा मारी ने तारी प्रदक्षीणा करे छे, मारा आपने नित्य वंदन छे,
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