ध्यान समाधी धारणा,आर प्रतीहर आंण
जाप प्रणायम जोगडा, भजतां सिद्धि भांण
ध्यान ,धारणा, समाधी,आर(आहार) ,प्रतीहर(प्रत्याहार)आंण (वचन सिद्धि) जाप यज्ञ तथा प्राणायाम (योग) आ बधुंय जेने भजवा मात्र थी सिद्ध थईजाय छे एवा भांण केतां भगवान सुर्य नारायण ने मारां नित्य वंदन छे
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