--मुलाकात--
मन थी मन मण्या ने
मन नी मन थी वात थई
अधरो मौन सेवी गया
तो शब्दो नी सोगाद थई
हसे जरुर कोई संबधो
पुर्व ना तो आपणा वच्चे
अमस्ती नथी थई जती
आ लागणी जे खास थई
क्षण-क्षण मुलाकात नो
समय वही ने जतो रह्यो
समय सुचक यंत्र साथे
बस ऐटली ज वात थई
आंखो ने हजी ऐम तो
घणी तरस बाकी रही ने
"देव" झांझवा ना जण
समी जींदगी आभास थई
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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