.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

15 अगस्त 2016

मैं भारत हुं - कवि: जय - जयेशदान गढवी

।। मैं भारत हुं।।

* न कोम में, न जाति में, न दल में रहता हुं।
मैं भारत हुं, हर भारतवासी के दिल मैं रहता हुं।

* मैंने मानवता के उत्थान को, अपने हिरदे मैं पाला है।
मैंने युगों तक वेदों को, जग के लिए संभाला है।
बीज मंत्र है मेरा "शांति", विश्व फलक पर उच्चरता हुं।
मैं भारत हुं, हर भारतवासी के दिल मैं रहता हुं।।

* मेरा पूर्व मेरा पश्चिम, मेरा उतर और दक्षिण।
मेरे हिंदु,मुस्लिम,पारसी,जैन,इसाइ,बौद्ध,शीख।
जाति भाषा प्रांत कौम में, मैं ही तो बंटता हुं।
।। मैं भारत हुं, हर भारतवासी के दिल मैं रहता हुं।।

* हर कौम ने सींचा मुझको, जिगर के खुन से।
आज क्यों मुझ पर घाव कर रहे हो, नफरत के नाखुन से।
गैरों से तो लड गुजरूंगा, बस अपनो से डरता हुं।
मैं भारत हुं, हर भारतवासी के दिल मैं रहता हुं।।

* मुझ से नफरत न कर प्यारे, मैं तो तेरा अपना हुं।
  मैं सत्य शिव सुंदर, राम राज्य की कल्पना हुं।
तुम मेरे और मैं तुम्हारा, यह सिद्धांत अनुसरता हुं।
मैं भारत हुं, हर भारतवासी के दिल मैं रहता हुं।।

* मेरा वही है सच्चा पुत्र जो, क्षुल्लक वैभव छोड दे।
  हर स्वार्थ को त्याग दे जो, झुठे बंधन तोड दे।
मैं खुद मेरे स्वात्र्य दिवस पर, "जय" तुमसे कहता हुं।
मैं भारत हुं, हर भारतवासी के दिल मैं रहता हुं।।
* * * * * * * * * * * * * *
- स्वातंत्र्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
- कवि: जय।
-जयेशदान गढवी

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT