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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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13 सितंबर 2016

कागवाणी , भाग 5 , भगतबापु रचित सुवाक्यो

जय माताजी
आजना  सुवाक्यो
*6. सारी - नबळी रुचि अंदरथी ज प्रगटे छे अलबत वातावरणनो अे उछेर छे ज.*
*7. दिवो दीवेलने अने प्राणी जीवनने पोते उत्पन्न करी शकतां नथी.*
*8. कोईपण मानवीने पूछो के "मरण छे के नहि ?" तो कहेशे के, चोक्कस . पण हमणा नहि.*
*9. जेमा भय अने लज्जा होय , तेनुं नाम पाप छे*
*10. जेमा आत्मसंतोष अने उत्साह होय तेनुं नाम पुण्य*
रचियता :- भगतबापु
                  वंदे सोनल मातरम्

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