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12 सितंबर 2016

गुरु वंदना : रचना :- दीलजीतभाई गढवी

*सदगुरु बालानंदबापू*
      
         *गुरु वंदना*

          *दूहो*

शिष नमावू  चरण  मां
अंतर  धरी आनंद,
भाळ्यो में भू-लोकमे
ब्रह्मचारी बालानंद

    *छंद त्रीभंगी*

हर पाप हरंता समरथ संता
ध्यान धरंता ईश्वरका,
दूःख दर्द दळंता जानत जनता
भाव भरंता भगवतका,
गंभीर गुणवंता योग अनंता
आश पूरंता उपकारी,
संत जीवन चंदा बालानंदा
अखंडा आनंदा अवतारी *1*

नित रेवत नंगा पीवत भंगा
चाहत संगा सू-जनका,
अती आनंद अंगा उर उमंगा
दूशकर दंगा दूरजनका,
तन मोज तरंगा ज्ञानकी गंगा
चरण सेवंगा सूखकारी,
संत जीवन चंदा बालानंदा
अखंड आनंदा अवतारी  *2*

मन मोज अनेरी जीवन झेरी
भांगत फेरी भवकेरी,
मू-पर कर म्हेरी देखो हेरी
करो न देरी जव जेरी,
सूखवंत सू-नेरी पल द्यो प्रेरी
दया घनेरी दुःख हारी,
संत जीवन चंदा बालानंदा
अखंड आनंदा अवतारी  *3*

शांतानंद संता भजन करंता
हेते भजंता हनूमंता,
वैराग वहंता मूनी  महंता
काज सरंता सत हंता,
दोष पाप दहंता राम रटंता
जोगी जपंता जयकारी,
संत जीवन चंदा बालानंदा
अखंड आनंदा अवतारी  *4*

गूरुदेव बनाया मिटगई माया
संत बूलाया सब आया,
संसार छूडाया भेख धराया
शिष्य बनाया सूख पाया
सू राह चलाया सिध सिधाया
बिरद गवाया ब्रह्मचारी,
संत जवन चंदा बालानंदा
अखंड आनंदा अवतारी  *5*

अवतारी आया जोग जमाया
अलख जगाये अतिभारी,
*दिलजीत*गूण गाया आनंद
पाया संत रीझाया संसारी,
रुदिये रहो राया सदा सवाया
भितर भाया भयहारी,
संत जीवन चंदा बालानंदा
अखंड आनंदा अवतारी *6*

           *दूहो*

संत देख्यो संसारमे
अंतर नित आनंद
भेख धरण भू लोकमे
बापू बाला नंद

*दिलजीत* *बाटी* ना
*जै बालानंद*
*मो..9925263039*

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