परम कृपाणु परमात्मा ना मार्ग दर्शन रुपी संवादो,
तमाम मानव जात माटे कईंक आवा हशे ऐवुं मानी
ऐ ने शब्द थी वाचा आपवा ऐक प्रयास करेल छे..
भुल-चुक क्षमा
आतम नी होडी
हलेसा ने होडी आ हलेसा ने होडी
कर्म रूपी हलेशा आतम नी होडी
भव रे सागर नी मुडी सत नी छे जोणी
बिराजे छे घट मां ऐ संभार ले छे तोरी
कर्म रूपी हलेसा आतम नी होडी
अखंडानंद बनी ने क्रोघ पी ले घोणी
तोज प्रेमे उजवासे भाव रंग नी होणी
कर्म रूपी हलेसा आतम नी होडी
घडो पाप केरो छे ने स्वार्थ नी हिंढोणी
माटी मां माटी भणी जसे ऐक दी छोडी
कर्म रूपी हलेसा आतम नी होडी
सत गंगा मां नहावुं,"देव"आतम जबोणी
लख चौराशी टाणवा वात मानो आ मोरी
कर्म रूपी हलेसा आतम नी होडी
शब्दार्थ:
तोरी=तारी
मोरी = मारी
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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