*मेरा अक्श*
कभी मेंखानों में तो कभी पैमानों मिला
कभी यादों के भुले से खजानों में मिला
मेरा अक्श रोज नयें बहानों में मिला
कभी आबादीयों में कभी विरानों मिला
कभी बे-घर लोगों के ठीकानों में मिला
मेरा अक्श रोज नयें बहानों में मिला
कभी शहेर में तो कभी स्मशानों में मिला
कभी बेखोफ परींदो की उडानों में मिला
मेरा अक्श रोज नयें बहानों में मिला
कभी शांत पानीमें कभी तुफानों में मिला
कभी ख्वाबों सा "देव" अरमानों में मिला
मेरा अक्श रोज नयें बहानों में मिला
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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