युं तेरा आना मौसम बनकर फिर चले जाना
के जैसे खिल कर गुलों का फिरसे मुरजाना
युं तेरा आना......
बसा कर आशीयां मुझसे दुर गर तुं खुश है
मेरा लाजमी है मुश्कुराकर गमको पी जाना
युं तेरा आना.....
शब-ऐ-फिराक की वो बातें मेरी राजदार है
वो आंखों का सरानें पर जमकर बरसाना
युं तेरा आना.....
कभी ख्याल भी मेरे इस कदर मायुश होते है
कभी इस दील का भी जोरों से घड़क जाना
युं तेरा आना.....
हम तो बयां कर रहे थे अपनें ख्वाब की बातें
बे-वजह छलका है"देव"आंखो का ये पैमाना
युं तेरा आना.....
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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