@@@आज@@@
आज ह्दय ने तारी यादो नो बहु भार लागे छे
आज सुकाई गयेल आंसुओ नी धार लागे छे
ऐ वात अलग हती के जिवंत रहतो हतो हुं
शरीर ने हवे मृत आत्मा नो सहकार लागे छे
आज लागणी आवी ने मृत्युशैया पर पडी छे
स्वार्थ अने जरुरत नो मने कारोबार लागे छे
ऐ शुं के तुं समजे नहीं मारा मौन नी परीभाषा?
मारा आंसु ने तो छलकता घणी वार लागे छे
हतो ऐ समय पण ज्यारे ऊजास मां रहेतो हुं
"देव"आज सुर्यप्रकाश पण अंधकार लागे छे
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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