. *समाधान कारी चारण*
*दोहा रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
*चाह कीयो घट चारणां, आर्य फीरावन आंण*
*जग्न जन्म जय जोगडा, जुद्ध रुप बस जांण*
ज्यारे अर्जुन ना प्रपौत्र जन्मेजये वेरभाव थी समग्र नाग जाती नो ध्वंस करवा जे यज्ञ कर्यो ते यज्ञ तो रुपक छे खरा अर्थ मां तो समग्र नाग जाती ना विनाश माटे आदरेल जुद्ध हतुं...
*ऋगवेदे ईन्दर रट्यो, दट्यो आर्य घट देव*
*जप्यो नाग गण जोगडा,मप्यो शेष महादेव*
ऋग्वेद ना समय मां जुवो तो सरुवात अग्नी अने ईंन्द्र आदी देवो नी वंदनाओ छे कारण आर्यो देवो ने मानता हता..ज्यारे नाग जाती शंकर ने जेना रुपक रुप नाग शिव नु आभुषण छे.
*ईंन्द्र पुजत सब आर्यगण, नाथ उमापत नाग*
*जनमे जय हूत जोगडा, भये धर्म जूध भाग*
आर्यो ईन्द्र पुजक हता अने गण राज्य विरोधी हता माटे तो गणराज्य नी परिसीमा गोकुळ मां ईन्द्र ना योद्धाओ द्वारा आक्रमण थयेल,अने गोवर्धन नी ओथ लई कृष्णये ईन्द्र ने परास्त कर्यो...कारण त्यां शंकर कृष्ण ने जोवा आवेल विगतोज नाग जाती अने गोकुळ नो संबंध दर्शावे छे, अने आ विरोध मां आगळ जतां जन्मेजय नो यज्ञ ए आ धर्म युद्ध नो भाग बनेल
*आसीत मुनीये आपीयो, ध्वंस रुकावण धर्म*
*जुग द्रस्टा बण जोगडा, कीयण चारणा कर्म*
आ विध्वंसक युद्ध महाभाराथ पछी फरी भारत वर्ष ने अंधाधुंधी मां मुकीदे तेवुं हतुं जेमां नाग वंश नो विनाश निस्चित थतो जोई पोताना मोसाळ पक्ष ने बचाववा माटे आसीत मुनी ये पोतानो चारण धर्म संभाळी ने युद्ध ने रोकाववा अन्य ऋषीयो अने मुनीयो नो साथ लई धर्म संभाळ्यो...
*आम समी अथडामणें, कट्यां कुळ शिष केक*
*जुद्ध विरामई जोगडा, आर्य नाग भये एक*
आ आमसामी अथडामण मां कैक कुळ अने कैक मरदो ना माथा कपाया अने अंते चारण मुनी आसीत मुनी के जेमनी माता नाग कुळ ना होई पोते वच्चे रही अने समाधान करावेल जेथी बंन्ने धर्मो ये एकबिजाना देवो ने पण अपनाव्या अने आजे हिंदुधर्म मां बंन्ने धर्मो आर्य अने नाग विलीन थई शांती पुर्ण रही जुनां वेर भुली गयेल छे...आम चारण नुं समाधान कारी वलण विश्वशांती नो संदेश छे....
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌞🌞🌞🙏🏼🙏🏼🙏🏼
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें