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5 मार्च 2017

|| सपाखरु - दानेश्वरी आपा पीठात प्रथम || ||कर्ता-मितेशदान(सिंहढाय्च) ||

*|| दानेश्वरी आपा पीठात प्रथम ||*
       *|| गीत सपाखरु ||*
  *|| कर्ता - मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च)||*

(सोरठ धरा माँ  गरवा एवा गीर पासे मेंगळ नदी ना कांठे  वसेला माळिया हाटीना गामनो एवो एक वीर के जे ने दानेश्वरी पीठात पण केहवाय छे,
अने  एना ऊपर  देवो ना देव महादेव ना रूप माळेश्वरनी साक्षात कृपा हती,
एवा हाटी कुळ ना आपा पीठात नी गाथा सपाखरा स्वरूपे रजु करू छु,)

वीर बरुको भेरुडो आपो प्रतापी पीठात वहालो,
हाटी कुळ माही राणो हजुये हयात,
प्राण बनी  प्रति पळ् लहू शरीरे समायो पळ,
दानेश्वरी दादो इ तो करण दयाळ,(1)

राज रजपाट माही मोजिला भेरीया राखे,
कवी भट्ट ब्राह्मणीय सभै कलाकार,
वादिया वेदांग जाणनार रखे विदवान,
चारणा सजावे रंग डायरे चकोर,(2)

दिन वित गए जाण मन रो अजाण दान,
देवो तणो साद दीन्हों नृपत रा दाण,
कविराज टेक धरी पोगिया फरता कयाय,
कदे  पूरी नहीं  टेक कीन्ना कोई काय,(3)

सांभळी  पीठात सुण राया तणो पुग्यो साद,
पास आवि जोयो राणो प्रति परमार,,
मुछाड़ो मरद आवि उभो हे बनी मिहिर
धरी तलवार तेज  है कटार धार,(4)

निरखि नयण आपो बोलीयो नमत नाथ,
कहो राज आखू  तूने आपु कविराज,
कहु राया हुतो हूं तो टेक धारी लाज काजे,
आपे तो हु आपो मानु साचो रे पीठात,(5)

साच नो साथियो हु तो सुण रे पीठात सुण,
मांगु आ समय मुने आपो  तो महान,
धार माळवे रो नाम जाप करले मन को धार,
दाण नहीं जाणु मुने लावि दे तू दान,(6)

राजवी मुंझाणो मन करो ने सहाय रघु,
शिव तूने विनवु हु साचवो रे शान,
साचो धणी धारी तूने पूजियो सकत साथ,
माळवे ईशर मान राखो महानाथ,(7)

विनती विनवी राये निरखि पहाण वाटे,
प्राछट पटाक मारे माथडे इ पाण,
त्यातो गगन गाजियों घोर गळळळ ताल,
थात सणणण छुटियू  तेज नभ थी थडाक,(8)

कळळळ कड़ाके पाणो फाटतो भाळता  काय,
नाद ॐकार सुण्यो रिझ्या नंदीराज,
हार दीन्हों नव लाखो लिए गढ़वी के हाथ,
आपो जाणियों पीठात साचो आज अखियात,(9)

धन रे कुळ ने हाटी धन रे सोरठ धरा,
नमन गरवी तारी नामणा नुराइ,
दादो  दानेश्वरी रायो तू तो साचो रे पीठात वीर,
गीत *मीत* लेखे गाथा रूडी गरवाई,(10)

*🙏~~~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~~~🙏*

*कवि मीत*

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