जिंदगीमां नेगेटिविटीनुं पण महत्व छे...!
उदासी वगर आनंदनुं कोई महत्व होत खरुं ?
विरह वगर मिलननी कोई मजा होत खरी ?
थाक वगर ऊंधनो साचो आनंद मळे खरो ?
सुखनुं पण ऐवुं ज छे. दु:ख वगर सुखनी समज ज नथी पडती.
जिंदगी फजरफाळका जेवी छे. उपर जाव तो नीचे आवती वखते शेरडो पडे अने नीचे आव्या पछी रोमांच थाय.
मेरी-गो-राउन्ड उपर जवाने बदले गोळ गोळ फरतुं होय तो कोई आनंद नथी.
आपणे ईच्छता होय ऐवुं फळ न मळे त्यारे आपणे ऐने निष्फळता मानी लेता होईऐ छीऐ. निष्फळतामां सफळतानुं तत्व छुपायेलुं छे.
कोई निष्फळताथी न डरो. निष्फळताने निराशामां कन्वटॅ न थवा दो. निष्फळता खराब नथी. निराशा खराब छे.
आपणे निष्फळ गया छीऐ. तमे बस आवुं न मानो तो सफळताना द्रार तमारा माटे खुल्ला छे.
विश्वनी धणी बघी शोघो ऐवी छे जे शोघवा गया होय कंई ने शोघाई गयुं होय कंईक जुदुं ज.
ऐरकन्डिशनरनी शोघ केवी रीते थई ? प्रिन्टिंग प्रेशमां भेज थतो हतो. अा मोईचियुरने दूर करवा कोई यंत्रनी जरुर हती. ऐ यंत्र ठंडक आपवा मांडयु अने अनायासे ज ऐरकन्डिशनरनी शोघ थई गई. अत्यारे ऐ आपणने ओफिस के बेडरुममां ठंडक आपे छे.
ऐ ऐसी शोघनारने खबर न हती के मारा यंत्रनो उपयोग आवो थशे. जे उद्देश माटे ऐणे काम कयुॅ ऐ उद्देश सिद्घ न थयो, पण ऐक जुदी ज सीद्घी मळी गई. सवाल मात्र कंईक करवानो छे. अने तेनाथी मोटो सवाल निराश न थवानो छे.
जय माताजी.
प्रस्तुति कवि चकमक.
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