हे चारणी रचयीता :- परम पूज्य आई श्री सोनल मां
हे चारणी सुख कारणी ! ब्रह्मचारणी आये शरण .
हे चारणी सुख कारणी ! ब्रह्मचारणी आये शरण .
सच्चिदानंदे शारदे मंगलमयी प्रणमे शरण .
..... हे चारणी .....
अंबिके आवड आशापुर्णे , है तुम्हारे बाल हम .
जगतारणी अधहारणी , कुरु प्रणत की प्रतिपाल तुम.
..... हे चारणी .....
हम क्यो पतीत हो गये , जब हो पतीत पावनी मात तुम .
हम क्यो अशांत अरु-असुचि जब हो,शांति सुचिंदा मात तुम.
..... हे चारणी .....
पुर्वज सदश नीति पथीक हो , मातृभुमि के भक्त हम.
शुरे-उदार अरु सत्य वक्ता , अमृतमयी अनुरक्त हम .
..... हे चारणी .....
द्रढविर वृती सेवक बने , अरु पढे शम-दम पाठ हम .
अग्नि परीक्षा मे अडिग बन , बढे संयम बाट हम.
..... हे चारणी .....
यम यातना हो नर्क-दु:ख , कर्तव्य पथ छोडे न हम .
दम-दम तिहारा जप जपे , मर-मीटे मुख मोडे न हम .
..... हे चारणी .....
आशिष उच्चरो अन्न पुर्णे , श्री चरण मे लीन हो हम .
हम हदय सिंचो अमृत "सोनल" प्रेममयी लागी लगन .
..... हे चारणी .....
रचयीता :- परम पूज्य आई श्री सोनल मां ( मढडा )
टाईप :- महेशदान गढवी नरोडा .
टाईपमां भुल होयतो बंधु क्षमा करजो
वंदे सोनल मातरम्
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