.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

6 मार्च 2018

|| कृष्ण वात || ||कर्ता मितेशदान(सिंहढ़ाय्च) ||

*||रचना:कृष्ण वात||*
*||छंद दंडक||*
*||कर्ता: मितेशदान महेशदान गढवी(सिंहढाय्च)||*

कान किरपाळी कुंज,प्रीत को लगाव पुंज
गोपियां गोविंद गान,मृण मंद हेत मान

सत सुर सोम शान,माधवो रूड़ो महान
भाव को भजात भेर,ताक लीला करे टेर

जन्म वासुदेव जायो,कान नंद को कहायो
देवकी बनी दुलारी,प्रीतबंध कान प्यारी

प्रेंम वश किंत प्रीत,राधिके रीदेय रीत
जाखो मन लोभ जीत,प्राण एक चित प्रीत

रास रमझट रमे,नदिया को तट नमें,
बासुरी धुनी बजाव,घोलदे वो प्रीत घाव

रूप को निखारी राधे,कान संग खड़ी कांधे
दिखे मनोरम दोय,हिये मन *मीत* होय

*🙏--मितेशदान(सिंहढ़ाय्च)---🙏*

*कवि मीत*

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT