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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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31 अगस्त 2018

भजन ✍देव गढवी

भजन फक्त ञण अक्षर पण जो भजन करवा करता जीवन ने ज भजन बनावी तो आ ञण अक्षर भवसागर पार करावा सक्षम छे
भ=भजवुं भक्तिमय रहेवुं
हाथ मां किरतार लई फरवुं भजन गावा फक्त ऐ ज भजन नथी संसार मां तमारा थी कोई दुःखी न थाय कोई नुं आतम ना कणे कोई ना हक्क ना मरे ऐ भजन छे ऐ भक्तिमय रहेवुं छे

ज=जतन करवुं
कोई धर्म कोई जाती कोई संस्कृती नुं जतन करवुं आदर करवुं जे देश मां जनम्या तेनी गरीमा आपणा थकी जोखमाय नहीं देश ने संपुर्ण पणे वफादार रहेवुं समयांतरे देश माटे ऐकजुठ बनी आगण वधवुं राष्ट्र नी संपती नुं जतन करवुं भजन ज छे

न=नरात्मक विचारो अने व्यक्तिओ थी दुर रहेवुं नश्वर नी अंदर ना ईश्वर ने ओणखवुं तेनी हाजरी नो पंड़ मां आभास करवो कोई निर्बण ने संतापवुं नहीं नरात्मक ने सरात्मक मां बदलवुं ह्रदय मां शांती स्थापवी ऐ पण भजन छे

नाना मोढे मोटी वात छे भुल-चुक ऐक अज्ञानी अभण गणी भुली जवा विनंती
✍🏻देव गढवी

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