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21 मई 2020

|| बन्यु मन्न वेरी ||

*||  बन्यु  मन्न   वेरी  ||*
*|| छंद -  भुजंगी ||*
*|| कर्ता मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*


दरेक ना जीवन नी एक ज वात,,,,क्याक तो मन्न वेर मा पड़ी जाय 

जेम के,
लोचन मन नो झगड़ो,
हैया ने मन नो झगड़ो,
कान अने मन नो झगड़ो,
दरेक वात मा मन्न ज वच्चे  मुख्य छे


*भली जो करी भात नी वात  भेरी,*
*जुगारी रह्यु  दल्ल  झांखे  न  झेरी,*
*वळी आज   नाख्यु  बनेलु   वधेरी,*
*व्यथा ना  विचारे   बन्यु   मन्न  वेरी,*


*टकोरे   सदा  ने   ए लावण्य टाणु,*
*वदी  वात  पाछी  फरीने  वखाणु,*
*बनी  जो  वखाणे चडी वात  बेरी,*
*व्यथा  ना  विचारे बन्यु  मन्न  वेरी,*


*छटा  कोट  छानी  रही ना छताये,*
*छताये   बचावी  रखी  छाप छाये,*
*फटी  जो  फुलीने  दबी चाप फेरी,*
*व्यथा ना  विचार बन्यु  मन्न   वेरी,*


*हती   कैक   प्रश्नोपणा नी हयाती,*
*विरोधी  जवाबो तणी गंध   वाती,*
*दुभीनाथ  दल्ली  बनी  एक   देरी,*
*व्यथा  ना  विचारे बन्यु  मन्न    वेरी*


*कथी बातनी शुं ! कमाणी कहानी,*
*हठी लागणी थी बची  अंत   हानी,*
*सुनी  मीत  शाने  पड़ी  भाव शेरी,*
*व्यथा ना विचारे  बन्यु   मन्न   वेरी,*




*🙏---मितेशदान गढ़वी (सिंहढाय्च)🙏*


*कवि मित*
9558336512

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