--आई ना चरण मां--
सोनल तारा चरण नी
नथी रज पण समान
छतां जो आ मानव देह
करे छे अभीमान
माँ सोनल तुं मढडा वारी
हुं तारुं संतान
भुल ज्यारे ज्यां हुं करुं माँ
धरजे थोडुं ध्यान
ना संतापुं कदी कदी कोई ने
सौ नुं करुं सन्मान
नेक बनी ने नेकी करुं माँ
आपजे ऐवुं ज्ञान
"देव" चारण कुण मां जन्मयो
करूं हुं तने प्रणाम
आशीष आप तुं कर्म करुं बस
साचा चारण समान
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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