चोथो अडधो प्हाडो
. छंद: मनहर कवित
. *|| तुंबेल ||*
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
तुंबडे उछेर्यो तोउं तुंमी बडो तुंबेलाय
चडीये चितार्यो वामे खोटी ना को खोड है
काग,कारीया,ने गंढ,गुजरीया,गुंगडा ने
सेडा,सिंधीया,रू जाम,जीवीया,की जोड है
धानडा,धांधुकीया,ने बढा, और बुढडा ओ
भींडा,भागचून,भला,मवर ही मोड है
शंकर कुं पीता चंड मुंडा ने रवेची सेवे
कहे जोगीदान बातां जग मे बेजोड है,||०१||
मंधरीया, मुन,रूडा राग, अरु रूडायच,
छोगां है समाज कुंणा काळजां करोड है
व्रमल, ने भाकचन,भिंडायच,भिंडा भुवा
खोळतां जडेह एसी खोटी ना को खोड है,
आयुं जग आयूं जाकी खुमारी को देखो जोग
बंका म्रद तुंबालां तो अळा पे अजोड है
सारण वरण एक धारण धरम धरम होवे
कहे जोगीदान मात सोनल को कोड है.||०२||
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