भाव बिन नहीं स्वाद भोजन भाव बिन को न बुलावत है भाव बिन नाहीं सखा प्रिय को भाव बिन जात लजावत है भाव बिन देह को अर्थ नहीं भाव बिन राम ना आवत है "देव"कहे सुनो बात मन की भाव बिन भाव ना पावत है
✍🏻देव गढवी नानाकपाया-मुंदरा कच्छ
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