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17 सितंबर 2016

देव गढवी

भाव बिन नहीं स्वाद भोजन
भाव बिन को न बुलावत है
भाव बिन नाहीं सखा प्रिय को
भाव बिन जात लजावत है
भाव बिन देह को अर्थ नहीं
भाव बिन राम ना आवत है
"देव"कहे सुनो बात मन की
भाव बिन भाव ना पावत है

✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
       कच्छ

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