*सामने अगर तुं आये*
गुलशनों में जैसे बहार आये
बेताबीयों में भी करार आये
सामने अगर तुं आये
खामोंशियों को जुबां कहाँ?
हर्फ निकलें ओर जुबां पाये
सामने अगर तुं आये
युं तो चल रही है ये साँसें भी
मीलो तुम तो ये जिंदगी पाये
सामने अगर तुं आये
ये आंखे जाम से कम भी नहीं
कयुं ना कदम मेरे लडखडायें
सामने अगर तुं आये
अजनबी से हम मीलतें है "देव"
आज रुह को भी जाना जाये
सामने अगर तुं आये
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें