*वो दीवाली अब नहीं आती*
रुपयोंसे बडा पैसा हुवा करता
वो दीवाली अब नहीं आती
ऐक कमीज ऐक पटलुन सीलाती
वो दीवाली अब नहीं आती
साल भर हमें ईंन्तजार था रहेता
गुल्लक में सपना था रहेता
अब पापा का दुलार नहीं लाती
वो दीवाली अब नहीं आती
जैब ही मेरे खजाना सा लगता
चंद पैसो में अमीर सा लगता
माँ के गोद की छाँव नही लाती
वो दीवाली अब नहीं आती
नन्हें हाथों से कभी दीप जलाता
घर-आंगन को खुब सजाता
विधुतयंत्र से वो खुशी नहीं आती
वो दीवाली अब नहीं आती
बहन के साथ भी रंगोली बनाता
मीठी डाँट का रंग अजमाता
"देव"भाई-बहनका स्नेह नहीं लाती
वो दीवाली अब नहीं आती
✍🏻 देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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