*||रचना:भाजप अने कोंग्रेस नी तू तू में में||*
*||छंद : मंजुभाषिणी||*
*||कर्ता: मितेशदान महेशदान गढवी(सिंहढाय्च)||*
बाता सांसद की बिखरेली,वाता घट घट वायु जी,
चलये देश सुधरने बाता,लाता मन सब खायु जी
पकड़ के खायु झपट लगायु,हाथा अटकत हायु जी,
ज्यो ज्यो मतियू मार्यू,त्यों त्यों मजाक मुख बन जायु जी
गढ़ चुनावे गीतड गावे,पैसे प्रगटी आवे जी,
लड़े लड़ावे तर्क लगावे,फिरभी जीत न फावे जी
पन्ने पन्ने पंख पीछावे,लिखवे अपनी गाथा जी,
ज्यो लिखणो शुरवात जगावे,स्याही खत्म हो जाता जी,
अंत मे गाली मुख में आली,काली बाता बाटे जी,
खाली करके मति खुमारी,नाक ही खुद वो काटे जी,
रचियो जो राजकारण रेलों,छेलम छेल वहायो जी,
मलक में *मीत* बने नै कोई,पैसो एक ज खायो जी,
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मीत*
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