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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

આઈશ્રી સોનલ મા જન્મ શતાબ્દી મહોત્સવ તારીખ ૧૧/૧૨/૧૩ જાન્યુઆરી-૨૦૨૪ સ્થળ – આઈશ્રી સોનલ ધામ, મઢડા તા.કેશોદ જી. જુનાગઢ.

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Notice Board


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30 सितंबर 2016

नेजाळी उजवे नोरता :रचना :- भगतबापु

आजथी नवरात्रीनो पारंभ थाय छे.ते नीमीते कविश्री कागबापुनी एेक रचना माणीये
*नेजाळी उजवे नोरता ...... सोनल उजवे नोरता.*
माडी तारे नोरता उजववाना नीम ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी आज पाटे पेला गणेश पधारीया ,
माडी एेना घुघरा घमक्या ने दाळदर भाग्या रे दु:ख सौ दाग्या ..... ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी आज बीजे नवलाख लोबडीयुं टोळे वळे ,
आहळ ओपे अन्नपुंर्णा ने अंबा रे जोराळी जगदंबा ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी तमे त्रीजे सिध्ध चोरासी तेडाव्या ,
साधु तमे वस्ती चेतावो भगवे वेश आपोने उपदेश ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी तमे चोथे चारण वरण नोतर्या ,
माडी एेना काढ्या आळस अभिमान विध्याना दीधा दान ... ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी तमे पांचमे बळभद्रने बोलावीया ,
माडी तमे कीधा हळधर केरा मान धोरीना सनमान ...... ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी तमे छ्ठे भुत भैरवने भेगा कर्या ,
माडी एणे तजी बीजा खोळियानी आश वोळावया कैलाश ...... ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी अेवा सातमे रती देव आवीया ,
माडी एेणे स्वीकार्या नारकीनो निवास पापयोनो व कुठवास ....... ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी एेवा आठमे दानव सघळा आवीया ,
माडी एेतो जाडाने जोराळा ठीमे ठाम मदिराना लीधा जोम ......... ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी तमे नोमे रे खांडाने खडग नोतर्या ,
माडी तमे उगार्या बकरीना मुंगा बाळ उतार्या जुना आळ........ ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी तमे दशमे हवन होम आदर्यो ,
माडी एेमां होम्या ईर्षाने अभिमान अग्नाने मद्धपान ......... ......नेजाळी उजवे नोरता
माडी तुं जो जनमी न होत जगतमां जोगणी ,
तो हुं "काग" कोना गुण गात मारा पातक कयांथी ..... ......नेजाळी उजवे नोरता
*रचयता :- कवि दुला भाया काग*
*```सर्वे मित्रोने नवरात्री पर्वनी हार्दिक शुभकामनाओ```*
*_टाईप :-charantv.blogspot.com_*
*आ रचना आजथी एक वर्ष पहेला टाईप करवामां आवी हती माटे  भूल होयतो क्षमा करजो*

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विश्वंभरी नी स्तुति

आवतिकाल थी शरु थता नवरात्री पर्व नी खूज ज शुभेच्छा.अने ते निमिते विश्वंभरी नी स्तुति

विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता
विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता दुर्बुद्धिने दूर करी सदबुद्धि आपो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

भूलो पड़ी भवरने भटकू भवानी
सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी भासे भयंकर वाली मन ना उतापो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

आ रंकने उगरावा नथी कोई आरो
जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो
ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

माँ कर्म जन्मा कथनी करता विचारू आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारू कोने कहू कथन योग तनो बलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

हूँ काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो आदम्बरे अति घनो मदथी बकेलो
दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू
श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

रे रे भवानी बहु भूल थई छे मारी आ ज़िन्दगी थई मने अतिशे अकारि
दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो
ब्रह्माण्डमा अणु अणु महि वास तारो
शक्तिन माप गणवा  अगणीत मापों
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

पापे प्रपंच करवा बधी वाते पुरो
खोटो खरो भगवती पण हूँ तमारो जद्यान्धकार दूर सदबुध्ही आपो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते तेना थकी विविधः ताप तळेक चिते वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

श्री सदगुरु शरणमा रहीने भजु छू रात्री दिने भगवती तुजने भजु छू
सदभक्त सेवक तना परिताप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

अंतर विशे अधिक उर्मी तता भवानी
गाऊँ स्तुति तव बले नमिने मृगानी संसारना सकळ रोग समूळ कापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

मां सोनल आई नो भाव : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*मां सोनल आई नो भाव*

राग..कानूडो काळो काळो..

सोनल मां सूखकारी मढडाना मढवाळी,
तूं आदीने अनादी आई आबू गोख वाळी,
    सोनल मां सूखकारी..टेक

सत शूध कूळ चारण अवतार लई आई,
हमीरबापू नेहे धन कूंख राणबाई,
वरणना विघन हरवा जन्मी तूं
मां जोराळी;
      सोनल मां सूखकारी..1

दिपे तमाणूं देवळ अती तेजथी तेजाळी,
मूरती छे भव्य मानी पवित्र पूण्य वाळी,
आतमना तेजे आखी आ अवनीने उजाळी;
    सोनल मां सूखकारी...2

अक्षर ज्ञान आपी छोरुने सूखी कीधा,
कष्टो बधातें कापी दूःखडाने हरी लीधा,
आई अभणने भणाव्या पाठ सत्तना परचाळी;
     सोनल मां सूखकारी..3

रंक राय ऐक साथे पंगत पिरसाणी,
हेते जमाडे माडी छोरु पोताना
जाणी,
बधा धामथी निराळी आई ऐकता त्यां भाळी;
    सोनल मां सूखकारी...4

अष्टसिध्धी नवनिध्धी समृधी छलकाणी,
दोष ताप पाप काप्या असत अकळाणी,
*दिलजीतनूं* ध्यान राखे कायम मां कृपाळी;
    सोनल मां सूखकारी...5

    *जै  मां  सोनल*
दिलजीत बाटी ना जै माताजी
ढसा जं. मो.9925263039

आई श्री मीनळमां वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई श्री मीनळ मां वंदना*
            *चरज*
ढाळ..आवा कोई चारणो आवे

दर्शन देजो  देव दयाळी,
मीनळआई मांतू मायाळी;
         दर्शन देजो....टेक

आंख वाळा नव ओळखे तूने
अंतरनी ओळखाण,
ऐवा आई लक्ष्मी माऐ आपीयू माडी पूरण तारु परणाण,
श्रध्धा तेथी जीवने जागी,
लग्नी माना शरणे लागी;
            दर्शन देजो.....1

अनेक परचा आपना माडी विश्वमां विख्यात,
खरा वखते खंतथी आवी तारवा चारण नात,
पोतावट पाळवा वाळी,
वारु थई विहभूजाळी;
             दर्शन देजो....2

ऐज अवतारी आई मीनळ तूं रव वाळी रवराई,
चंडी चामूंडा चारणी तूं छो नेजावाळी नागबाई,
नकी मां तूं मढडावाळी,
प्रगट रुपे आई पूजाणी,
          दर्शन देजो....3

कृपा करीने करणी आवी मावडी मीनळरुप,
चरणे तारे शिष नमावे भयथी मोटा भूप,
सिंहण रुप चारणी तूं छो,
मैखासूर मारणी तूं छो,
         दर्शन देजो.....4

आई अमाणे आंगणे आवो दिव्य देवाने दिदार,
माफ करजे माडी बाळ *दिलजीतना* होय गूना हजार,
सूणी साद साबदी थाजे,
वेगे वारु करवा काजे,
        दर्शन देजो.......5

मां मीनळ आई नी वंदना
जागती ज्योत जगदंबा ने
दिलजीत बाटी ढसा जं. ना
जै माताजी सह करोडो वंदन
*मो.9925263039*

29 सितंबर 2016

देव गढवी

उन शहीदों की है आज शहादत रंग लाई
जीसने प्राण त्याग के,मीट्टी की शान बचाई

बेठ्ठे होंगे स्वर्ग में आज खुशहाली वो मनायेंगे
जाग गये है शैर हमारे अब दुश्मन खैर मनायेंगे

कहीं पर मासुमों का खुन बहे ये भारत कभी नहीं चाहता
पर कुछ हैवानो को ईंन्सानियत का पाठ समज नहीं आता

✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
      कच्छ

चारणी साहित्य : प्रसतूति कवि श्री चकमक

चारणी साहित्य...!

चारणी साहित्यना मुख्य बे विभाग छे. '' पिंगळ साहित्य '' अने ''डिंगळ साहित्य ''
पिंगळ साहित्य ऐटले संस्कृत साहित्यना छंदोनी रचना मुजब मापतालयुकत रचनावाळुं साहित्य. आवुं साहित्य चारणोऐ धणुं लख्युं छे.
डिंगळ साहित्यमां संस्कृतनी रचना मुजबना छंदो नथी. डिंगळी साहित्य तेना शब्दो, शैली तथा रचनाथी थोडां जुदु पडे छे. छतां पण तेमां कोई अजब चमत्कृति अने रस भरेलां छे. डिंगळ साहित्य माटेनुं मुख्य मान चारणोने ज धटे छे.
चारणी साहित्यना बे प्रकार छे. ऐक तो राजाओनी के दाताओनी कृपाथी सजाॅयेलुं अने बीजुं कुदरती प्रेरणामांथी सजाॅयेलुं भकितपरायण अने आत्मलक्षी.
चारणी काव्योमां नबळी वात नथी संधराई. नबळाई प्रत्ये तो कयारेक वक्र बनीने ममॅना ह्रदय भेदथी ऐणे शोयॅने अने स्वमानने जागृत राख्या छे.
साघु, संतो, भकतोऐ जेम जनसामान्यने नवघा भकितना संस्कार आप्या तेम चारणोऐ जनसामान्यने शुद्घ प्रेमना, निष्कलंकताना, शुद्घ आचारना, आत्मगौरवना, प्रजा-प्रेमना, त्याग तथा बलिदानना संस्कार आप्या छे.
जनसामान्यमां आवा उच्च संस्कारोने सदा जागृत राखनारा आ चारणोऐ ज लोकवाताॅओनुं, दुहाओनुं, प्रेम-शोयॅनी कथाओनुं, प्रकृतिप्रेमनुं अने छंदोनुं साहित्य सजॅयुं छे अने जाळव्युं छे.
आज दिन सुघी संधरायेलुं लोकसाहित्य बहुघा आ चारणोने ज आभारी छे.
पू. काग बापुना शब्दोमां कहीऐ तो, '' आ साहित्यनी गंगा ऐ माणसे बांघेली नहेर नथी के ऐकघारी नदीनी माफक चाली जाय. आतो हेमाळाना खोपरा तोडीने पोताना अथाग पराक्रमथी वहेती गंगा छे.

जय माताजी.

प्रस्तुति कवि चकमक.

28 सितंबर 2016

करशो नही वरा :- रचयिता : राजकवि  पिंगलशीभाई  पाताभाई  नरेला. भावनगर

करशो नही  वरा

रचयिता : राजकवि  पिंगलशीभाई  पाताभाई  नरेला. भावनगर

             राग  :  पिलु

             करशो  नही  वरा  व्याजे  लइ  ने ,

             दुःखी   थाशो   पैसा   दई  दई  ने    .....टेक

             जोडवा  कोश  न पाणी थी जाजा ,

             मोल  सुकाशे   जळ  थई  रहीने      .....करशो...1

             पोंच  प्रमाणे    खुशीथी   ख़ावु ,

             जांचवु  पडे  नही  पर घर जई ने.     .....करशो...2

             मित्र   सदा   रेहवु   निर्मानी ,

             थाकी   जाशो  मोटा   थई  ने          ....करशो....3

             प्यारा  निति थी  सुख  पामो ,

             पिंगल  समजावे  कई  कई ने।         ....करशो....4

संकलन :अनिरुद्ध  जे. नरेला

दिये लाभ ते दिकरो :- रचयिता: राजकवि श्री पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला..भावनगर

.                         " दिये लाभ ते दिकरो "
                            प्रकार :- छप्पय
       रचयिता: राजकवि श्री पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला..भावनगर

                    सहन कर्यो दस मास, भार उदरमा भारी,
                    आप्यो पछी अवतार, धवाडयो पय उर धारी,
                    पुत्र कारणे आप कटु ओषध पण पीधा,
                    आणयो नही अभाव, दुःखी थई सुख अति दिधा,
                    आभार सत्य ऐ मातनो, खसे नही दिलथीं खरो,
                    कविराज सत्य पिंगल कहे,  दिऐ लाभ ते दीकरो...1

                    जतन करी जालव्यो, प्राणथी आत्मज प्यारो,
                    पहोर आठ निज पास, नजरथी घडी न न्यारो,
                    गुरु राखी गुणवान, बाळ विद्वान बनाव्यो,
                    विनय विवेक विचार, भार वहेवार भणाव्यो,
                    उपकार पितानो सत्य ऐ, खसे नही दिलमा खरो,
                    कविराज सत्य पिंगल कहे दि ऐ लाभ ते दीकरो......2
                
                    🌹अनिरुद्ध जे. नरेला 🌹
                    🌹 ना जय माताजी    🌹

तथा पी रह्या न यथा देह त्यागी :- रचना...राजकवि पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला..भावनगर

.                " तथा  पी रह्या न यथा देह त्यागी"
                
          .                  छंद....भुजंगी
    रचना...राजकवि पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला..भावनगर
                    पिंगळवाणी पृष्ट 10, 11.

                      ...          दूहो....

       ।।  दुःख सहता जगमे तउ,मन रहेता मगरूर
                               केहता संत पुकार के,धरा धाम सब धुर. ।।

धरा बीच राजा हुवा मानधाता गज ग्राम दाता सबे शास्त्र ज्ञाता,
भूमि काज नवखंड किना सुभागी, तथापी रह्या न यथा देह त्यागी...1

उज्जैन हुवा वीर विक्रम ऐसा, परार्थे लगाया अहो कोटी पैसा.
सदानंदकारी विहारी सुहागी, तथापी रह्या ना यथा देह त्यागी.......2

रतीवंत देखो हुवा भोज राजा, मतिवन्त दानेस्वरि वंश माजा
रधी समृद्धि दवार विध्यानुरागि,तथापि रहया ना यथा देह त्यागी....3

पृथुराज दिल्ली पति मर्द पूरा, चड़े सोल सामंत शत शूरा
लयी संग गोरी भूमिकाज लागि, तथापि रह्याना यथा देह त्यागी......4

हुवा अकबर दुष्मनकु हटाया,जहांगीरने हुकम अच्छा जमाया,
महावीर ठाड़े रहे माफी मागी, तथापि रह्या ना यथा देह त्यागी........5

शिवाजी भया राज कीना सतारा, दीया दान हाथी कविको हजारा
उमानाथ जेसे जर्रे  क्रोध आगी, तथापि रह्या ना यथा देह  त्यागी......6

रह्या ना अनादि अबे ना रहेगा,  कवि लोग सदकीर्ति आगे कहेगा
पढ़े पिंगल छंद गोविंद ग्रागी,    वृथा हे सबे जकत जानो  विरागी........7

🌹🌹🌹अनिरुद्ध नरेला ना जय माताजी.🌹🌹🌹

खोडियार ख्याता अन्नदाता :- रचयिता : राजकवि  पिंगलशीभाई  पाताभाई  नरेला. भावनगर

🌹               खोडियार  ख्याता  अन्नदाता                        🌹

रचयिता : राजकवि  पिंगलशीभाई  पाताभाई  नरेला. भावनगर

                      ॥  दोहो ॥

अन्न  उपावण  अवनिमां , मन  रिजावण  मात ,
घात  मिटावण घट तणी , ते खोडियार प्रख्यात.

            ॥छंद : भाखड़ी  ॥

थानक  ठाहरे  जी के  दीपत  डूंगरे ,
  सूंदर  सरवरे   जी के  ध्रुपद गळधरे,

गळधरे ध्रुपद  वहे  गंगा,  नाय  अंगा  अध  नसे,
कई  अंध पंगा करे ओळग, हरे दुःख मुखथी हसे,
कामली  काळी त्रिशूलाली, सिंघ  स्वारी  शोभणी,
खोडियार ख्याता, अन्नदाता, जगत माता जोगणी,
                            जीय   जगत   माता   जोगणी...टेक...1

              दीपक  तुपरा  जी के  धुमरा  धुपरा ,
              वर्णन  रुपरा  जी के  अंग  अनूपरा,

अनुपम्म  शोभत  अंग  उजवळ, जोत  जळहळ  जोपती,
कर चुड  खळहळ  हार  हींडळ ,  उग्र   कांन्ति   ओपती,
घुघरी  धमधम  सुर   छम  छम,   रास  रमज़म  रम्मणी.
         .                        खोडियार  ख्याता, अन्नदाता......2

          मामड  मातरी  जी के  मीणल  मातरी ,
          खेतल  भ्रातरी  जी के  चारण   जातरी,
जातरी  चारण  शाख मादा,  असुर  मारण अवतरी,
कवि भक्त कारण सुख वधारण, वंशतारण विस्तरी,
शरणे  उगारण  धर्म  धारण ,  पाप  जारण  परवणी.
                             खोडियार ख्याता, अन्नदाता.......3

          दिन  नवरातरा  जी के  मंदिर  मातरा ,
          पोर  प्रभातरा    जी के  जबरी जातरा,

जातरा  जबरी  लोक  जाजा ,  महाराजा  त्यां  मले,
जय जय अवाजा बजे बाजा,  सरे  काजा भय  टले,
तन  होय ताजा  पुन्य पाजा, पयवटा  थट  पोखणी.
                                खोडियार ख्याता अन्नदाता.....4

            बांधें  बारणां  जी  के  पुत्रो   पारणां ,
            करे  जुवारणां जी के  लेवे   वारणां,
वारणां  लेवे  वंज़  वनिता,  सुतवती  थइ   संचरे ,
चंद्रमा  पुरे  शाख  सविता,   कविता  'पिंगल' करे,
भक्तां  सकळने   लाभकारी, मात सो   पारसमणी.
                            खोडियार ख्याता अन्नदाता......5

             संकलन:  अनिरुद्ध जे. नरेला. भावनगर.

प्रथम समरू गुणपतीने ::- रचयिता:  राजकवि  पिंगलशीभाई   पाताभाई   नरेला

प्रथम  समरू  गुणपतीने

रचयिता:  राजकवि  पिंगलशीभाई   पाताभाई   नरेला

                  राग : प्रभाती
प्रथम समरू  गुणपती ने , मात  जेनी  पार्वती ,

तात   शंकर   देव   तेना ,  जपे गुण जोगी जती .

                                 प्रथम समरू गुणपतीने.... टेक.

बंधूं  कार्तिक स्वामी बळीया,  सदा तेनी  संगती,

गजानन छ्बी अती  गंभीर,  आप अदभुत आक्रती.

                                    प्रथम समरू गुणपतिने.......1

नाम  रटता   विघन  नासे, चित  प्रकाशे  सन्मती,

भुवन मा नव  निधि भासे,  सुखद   पामे   संतती.

                                 प्रथम समरू  गुणपती ने.........2

शुंड   दंड   प्रचंड  शोभे,    महा    मंगल   मूरती,

थाय सुक्रत द्वार स्थापन,  परम सुध बुधना पती.

                                 प्रथम समरू गुणपती ने...........3

अमर मोदक ना आहारी,  शरण  पाळण  समृती,

कहे 'पिंगल'काव्य रचता,  करू   तेनी   कीरती.

                                प्रथम समरू गुणपती ने.............4

अनिरुद्ध जे. नरेला ना जय माताजी..श्री गणेश चतुर्थी ना जय गणेश.

चाहे तो अमीर रहे चाहे तो फकीर रहे :- रचयिता : राजकवि  पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला. भावनगर

चाहे तो अमीर रहे चाहे तो फकीर रहे

रचयिता : राजकवि  पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला. भावनगर

                         कवित

चाहे तो  अमीर  रहे  चाहे तो  फकीर  रहे ,

चाहे तो वजीर  रहे  राज  सनमान में ,

चाहे  निज  देश  रहे  चाहे  परदेश  रहे

चाहे तो मलिन  रहे  चाहे  खानपान में,

चाहे  मलहीन  रहे  चाहे  जनदीन  रहे ,

तेसे  परबीन  रहे  लीन  गानतान  में ,

पिंगल  भनंत  परवाना  जब  आवेपास,

सिंहाना  दिवाना  तऊ  डेरा  समसानमें.

संकलन : अनिरुद्ध  जे.  नरेला

भव्य संतवाणी

ब्रह्मलीन महंतश्री पुरण भारतीजी पूर्वाश्रम चारण(गढवी) पुनाभा ना सोळसी भंडारा ना उपक्रमे भव्य संतवाणी

चारण आईनी वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*चारण आई नी वंदना*
     ॥     *चरच*    ॥
राग..मारु संदेशो मोकले...

देव दयाळी डूंगरा वाळी आभ कपाळी आई,
वारु थाजो हवे वेगथी माडी बाकूला वाळी बाई,.......1

बाकूला डूंगर बेहणा तारा
नवखंड गूंजे नाम,
धाबळीयाळी ध्रोडजे रुडा करवा अमणा काम;......2

भान भूलीने भूपती आव्यो नागल हूंदा नेह,
पाट पलटावी पलमां ऐनो वरवो कीधो वेह;..........3

घें-घें-घे करी घूधवी मां तूं चारणी सिंहण रुप,
रोष भरेली राजलने नम्यो भयथी दिल्लीनो भूप;.....4

महवाडी काज आवियो बाबी रोकड मागी राळ,
त्यातों जिभ खेंचीने जगदंबा तूं वेगे बणी विकराळ;.....5

आई हटाणू करवा आव्या सू मत भूल्यो शेख,
तेदी' सरधारे सिंहमोई मंडाणी लखवा ऐना लेख;.........6

ओखा धराने उजाळवां आवी
अंबा लई अवतार,
काळा सर्पोनो कोरडो भाळी दैय्तना डोल्या द्वार;.......7

सातिये सावज जोतर्यो माडी
चोराडी चांपबाई,
आभमां उभो राखियो भानू आण आपीने आई;.......8

शिला उपाडी चांचमां उडी आभमा तेदी आई,
राज वाजानू रोळियू मां ते क्रोध करी कागबाई;......9

आई अमीनो विरडो ऐमा नेहनां भरिया नीर,
भावथी भजो भेळियावाळी ने
मां भवनी भांगे भीर;.....10

आई अमाणो आशरो मोटो शिर तणो सरताज,
जावा दये नही जगदंबा कदी लाखू वाते लाज;.........11

ऐज अवतार आप छो माडी मोड सधू महमाई,
*दिलू* माथे अमी द्रष्टी राखो
स्नेहनी *सोनलआई*;....12

आपणा सर्वे चारण जगदंबा ना आराधना माटे मां प्रार्थना

दिलजीतबाटी ना जै माताजी
ढसा जं. मो.9925263039

27 सितंबर 2016

आई श्री मोगलमांनो प्रागट्य महोतस्व,भीमराणा

जील्ला कक्षानी रास स्परधामां जामनगर चारण मंडळ प्रथम नंबरे

मां मोगल वंदना : रचना दिलजीतभाई गढवी

*मां मोगल वंदना*

       *भाव*
ढाळ..आवड मां उपरे आवेरे..

मोगल विण कोण अमारुरे
चंडी ऐक शरणू तारुरे...टेक

घांघणिया घेर तूं आवी, देवसूर तात   दिपावी,
छोरु ने संभाळवा आवीरे,
मोगल विण कोण अमारुरे..1

लीधां हाथ सर्पो काळा,
खांडाना खेल खपराळा,
दैय्तो हण्या कैक दाढाळारे,
मोगल विण कोण अमारुरे..2

घांघणिया धी' घणनामी,
सूणी साद आवजे सामी,
विपत बधी नाखजे वामीरे,
मोगल विण कोण अमारुरे..3

कीधा होय कोई जो गूना,
भूली जाजे भावथी जूना,
आयल कोई होय आगूनारे,
मोगल विण कोण अमारुरे..4

ओखाथी मां आव्यने वेली,
बूढी मारो थई ने बेली,
खडग लुई हाथ खेंचेलीरे,
मोगल विण कोण अमारुरे..5

गोरवियाळा नेहमां भाळी,
बेठी आई बिरद वाळी,
नजर नित राख नेजाळीरे,
मोगल विण कोण अमारुरे..6

धणी धाहे आवजे ध्रोडी,
मदयने  नाखजे  म्रोडी,
*दिलजीत* नमू हाथ बे जोडीरे,
मोगल विण कोण अमारुरे..7

*जै मां मोगल वंदना*

*दिलजीत बाटी ढसा जं. ना*
जै मां मोगल..मो.9925263039

द्रारकामां कोई तने पुछशे : रचना:- ईशुभाई गढवी

ईशुभाई गढवी रचित एक रचना

द्वारकामां कोई तने पूछशे के काना .
ओली गोकुळमां कोण हती राधा .
   तो शुं रे जवाब दईश माधा ?

तारुं ते नाम तने याद नो'तुं
तेदि'थी राधानुं नाम हतुं होठे .
ठकराणां - पटराणां केटलाय हता
तो ये राधा रमती'ती सात कोठे .
राधाविण वांसळीना वेण नहीं वागे
शीदने सोगंध अेवा खाधा .
तो शुं रे जवाब दईश माधा ?

राधाना पगलामां वाव्युं वनरावन
फागण बनी एमां महेक्यो .
राधाना एकेका श्वास तणे टोडले
अषाढी मोर बनी गहेक्यो .
आज आघेरा थई ग्या कां राधाने वांसळी
एवा ते शुं पड्या वांधा .
तो शुं रे जवाब दईश माधा ?

घडीकमां गोकुळ ने घडीक वनरावन
घडीकमां मथुराना महेल .
घडीकमां राधा ने घडीकमां गोपीओ
घडीक कुब्जा संग गेल .
हेत प्रित न्होय राज खटपटना खेल
कान स्नेहमां ते होय आवा सांधा
तो शुं रे जवाब दईश माधा ?

*कृष्णनो जवाब ::--*

गोकुळ वनरावन ने मथुरा ने द्वारका
एे तो पंड्ये छे पहेरवाना वाघा .
राजीपो होय तो अंग पर ओढीये
नहीं तो रखाय एेने आघा .
आ सघळो संसार मारा सोळे शणगार
पण अंतरनो आतम एक राधा .
हवे पुछशो मां कोई मने कें कोण हती राधा ?

*रचना :- ईशुभाई गढवी*
*_टाईप :-  charantv.blogspot.com_*

26 सितंबर 2016

आई श्री सोनल वंदना: रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई  श्री  सोनल  वंदना*
             *चरज*
ढाळ..मालम मोटा हलेसा मार

हे..आंगण आज पधार्या आई हशे कांई पूर्वोनी पूनाई..टेक

ढोल त्रांबाळू धणधणे ने सूर मीठा शहेनाई,
हे..अबिल गूलाल उडे आंगणिये ने चरजू त्या संभळाय रे,
आंगण आज  ....1

आनंद लेरु आज अंतरमा हैये हरख नो माय,
ह..सामैयामा शोभता माडी आभ कपाळी आई रे,
आंगण आज...2

चारण छोरु सौ साथे मळीने हरखे  गूंथे हार,
हे..फूलडे वेरी सघळी शेरी दिप पेटाव्या द्वार रे,
आंगण आज...3

गाम अमाणूं गोकूळ दिसे ने करणी ऐमा कान,
हे..सौ छोरुडा नाचे ताले भाव मा भूली भान रे,
आंगण आज....4

मानव मेरामण उमट्यो ने हैये हैयू दळाय,
हे..सहूनी सूरतामा चंडी ऐकतूं
भेळिया वाळी भळायरे,
आंगण आज...5

आई दयानो दरियो मोटो मां वालपनो वरसाद,
हे..सत्तना चिले चालशू तो आई राखे आबादरे,
आंगण आज...6

सवळी राहे मां सोनल वाळे अवळी छोडो आज,
हे..उद्धार करवा अंबा आवी चारणो नी सरताजरे,
आंगण आज...7

पाये पडी सौ पावन थाये टळिया त्रिवीध ताप,
हे..ऐक घडीमा अळगा कीधा
पंड्यना सघळा पापरे,
आंगण आज...8

आरदा सांभळी अंबा आवी मनमा लावीने म्हेर,
हे..द्वार दिपाव्या दिव्य दयाळी लाखू वाते ल्हेररे,
आंगण आज...9

हेते हालरडां गाई हिंचकावजे
पूरजे अंतर आश,
हे..भेळियावाळी भजू *दिलू*
भेवलियो खंमा करजो खासरे
आंगण आज...10

आ भाव गीत 1994 मा प्रथम वखत ढसा जं. मूकामे समस्त चारण समाज द्वारा सोनल बीज उजववानी शरुआत करेली त्यारे लखायेली प्रार्थना मां सोनल वंदना
(सोनल बीज हजू उजवाय छे)

दिलजीत बाटी ढसा जं ना
जै माताजी. मो.9925263039

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