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30 जून 2016
तारी शीतळ छांसलडीमां - दुला भाया काग (भगतबापु )
29 जून 2016
श्री लक्ष्मी वंदना द्वादशी - रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)
. *|| श्री लक्ष्मी वंदना द्वादशी ||*
. *छंद : भुजंग प्रयात*
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
तुंही मात हो सात वा रत्न सांणी
तुंही को हरी वाम हाथां वखांणी
तुंही तुं मनो मंथने जग्ग मांणी
सुता सागरा तु प्रकत्तीय पांणी. ||01||
सुरी तुं सदा सत्त करमो करावे
प्रजा हीत्त पुन्याय धरमो धरावे
असुरीय तुं डाकणी सी डरावे
फगी मग्ग से जग्ग सारो फरावे.||02||
असुरां अधूरां तवां तेज तारे
छुपे पाप सारां धरा मांन धारे
मुसद्दी बणे तो मगां मध्ध मारे
अही कारणां पारणां सु पुकारे.||03||
सरन्नांय चाहे सदा जग्ग सारा
परी भीर तो मां प्रजा मे पसारा
तिनो लोक मे ताम धामा तिहारा
असां ओरडे मां दीयो पांव प्यारा.||04||
जती जोगडा तो खडा मा खलक्के
पडा आखडा तुं ऊठाया पलक्के
सदा नेह मातूं चखां मे छलक्के
जगे लक्षमी नाम तोळो जलक्के.||05||
लीयां चारणां वारणां मां उचारी
नमो नारणां धारणां वाम धारी
कई कारणां दारणां दक्ख दारी
बिठो बारणां तारणां री तियारी.||06||
जपे नित जो जाप तोळा जनेता
प्रथीपे दीये राज प्यारा प्रनेता
भली भात पुरीय सुरी समेता
लीखे लेखणींसुं कहे गुंण केता.||07||
अदी धान धैरी धरो बाल धन्ना
गजां लक्खमी मात विद्या वरन्ना
धनां विज्जया आठ माताय अन्ना
जणी जोगडा आश तुही तमन्ना.||08||
सदा चारणां धारणां रेम राखो
कबु कुळ ने ना जरा दक्ख दाखो
जता किन्न जुन्ना नवे नेंण नाखो
भवानी भलायुं भलायुं ज भाखो.||09||
अखंडाय आयल्ल आशिश आपो
नवे निद्ध सिद्धि विसोतीन व्यापो
जुवो जोगडो मां जपे तम्म जापो
कुळां चारणांरा कहट्टांय कापो.||10||
दधी सुत्त देविय केवी क्रपाळी
सदा शेस के देश भावेय भाळी
सजे नाथ के साथ वामा वडाळी
सीता मात तुं रुख मिन्नि रुपाळी.||11||
सुराळी सदा शारदा संग साता
विडाळी वदां चारणां री विधाता
दियाळी तुंही जोगी दांनाय दाता
पीयाळी प्रथी व्योम प्रामेे पुजाता.||12||
(जोगीदान गढवी (चडीया)कृत लक्ष्मी वंदना द्वादशी )
असाढ ना ओवारणां रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)
. || असाढ ना ओवारणां ||
. रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)
आव्यो असाढ घोडा घुमतो रेलोल...(०२)
मेघो घणीं..(०२) मुछडीये मलकाय रे....
आव्यो असाड घोडा घुमतो रेलोल.....
वरहावे हेत भर्यां वादळां रेलोल..(०२)
कामण गारी (०२) कोळे घरा काय रे...
आव्यो असाढ......
धधकावे नेह जळ धारीयुं रेलोल..(०२)
भोमका आखी (०२) लागणीये भींजाय रे...
आव्यो असाढ .....
हरखी ने थई हरीयाळीयुं रेलोल..(०२)
धरणीं लीली (०२) चुंदड्य मां लेहराय रे...
आव्यो असाढ घोडा .....
आघो ओढी ने लीलो अंचळो रेलोल..(०२)
सायबो देखी (०२) जांणे के सरमाय रे ....
आव्यो असाढ. .....
जरमर वरहावे जोगीदानीया रेलोल..(०२)
मोर कळा मां (०२) ढेलडीयुं ढंकाय रे....
आव्यो असाढ......
आवा असाढ ना ओवारणां रेलोल..(०२)
झाकम झोळे (०२) मेहुलीयो मंडाय रे....
आव्यो असाढ घोडा घुमतो रेलोल.....
रचना जोगीदान गढवी
खेतर खेड्यां खंतथी. (हवे) वरह्या केरी वाट.
जळविण तरहे जोगडा. पाधर कोरां पाट
थाकी गई छे ठाकरा. उंचेय देखीन ओड
मेधल तुं सिर मोड. जीवतर माटे जोगडा
माझा मुकशे मोहुलो. बे तण दी मां बाप.
जळ थळ मळशे जोगडा, ठाकर दिये न थाप
वादळियां भर वरहवा. आभ झकुंबे आब
खेडुत केरां खाब. जळ नां कायम जोगडा
आम अहाडो उपड्यो. कोरो कां कड़डाट
धरती पर धडेडाट. जरी पड्या वण जोगडा
वाहन लईने वीरतुं. भेह मतंगेय भा
धरणीं माथे धा. जळ व्रहावा जोगडा
( जो वाहन मां भेंस नुं वाहन के हाथी नुं वाहन होय तो वरसाद सारो पडे ऐवुं वरसाद नुं ज्योतिस कहे छे..माटे भेह(भेस) मतंग (हाथी) ना वाहन थी आववा विनवणीं करेल छे )
खुट्यां खरां आ खलकमां. पुन्य नही पण पर्ण
वन वगडा ना वर्ण. जोतां जडे नई जोगडा
काहट खातर कापीयां. वनरा भुंडे वेह
जाड ववारो जोगडा. (तो) मदछक वरहे मेह
लाकड हंदा लोभमा. वन थी बांध्यां वेर
लीयो व्रसा वण लेर. जोम अहाडे जोगडा
गोकळ कानड गावतो. वनरा वन नी वात
पण,जंगल माथे जोगडा. घोर करे जग घात
वादळ वरहे वालथी. हरियां वन ज्यां होय.
जाप जप्या वण जोगडा. भूदर आवे भोंय
वादळ मां कउं वालथी. संताई जाने सुर.
तो
भोम परे भरपूर. जळधर वरहे जोगडा.
28 जून 2016
अखूट खजानो प्रेम नो तारो रचना श्याम गढ़वी
अखूट खजानो प्रेम नो तारो
राग _कादजा केरो कंटकोमारो
अखूट खजानो प्रेम नो तारो ,मावड़ी माप ज नहीं
जग हाले आखु यात्रा करवा ऊंबरे ओड़खे नहीं,,,,,,,(अखूट,,,,)
दोढ् दुकाडे नावडि सुके पण सागर सुके ज नहीं ,,,,(अखूट ,,,)
उड़ता सीखे बाड़ आकासे पछि एनु मात थी नातू नहीं ,,,,(अखूट,,,)
मात विण छोरु नु काज छे कोरू ई कवियों थाक्या कही,,,,(अखूट,,,,)
'श्याम 'मडि साँची सुख नी गडी जननी खोडे जई ,,,,(अखूट ,,,,)
कहे न साचुं कोई रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
सारी वातुं सौ करे पण, कहे न साचुं कोई
जळीन मरती जोगडा, कहे न साचुं कोई
जुठ पाखंडी जोगडा, कहे न साचु कोय
जरी न गोठे जोगडा,पण, कहे न साचुं कोय
जाय बळी घट जोगडा,तोय, कहेन साचुं कोय
जाळव पाछो जोगडा, कहे न साचुं कोय.
जगत पिता विण जोगडा, कहे न साचुं कोई.
जग वेपारी जोगडा, कहे न साचुं कोई.
जुट्ठो सब जग जोगडा, कहे न साचु कोई.
जीवन सगां सउ जोगडा, कहे साचु कोई.
जग आखा ने जोगडा, कहे न साचु कोई.
जीव उद्धारक जोगडा, कहे न साचु कोई.
26 जून 2016
आई लीये अवतार - रचना: जोगीदान गढवी(चडीया)
जग्ग जणेता जोगडा, अाई लीये अवतार
जरी हटे नई जोगडा, (ऐवी) आई लीये अवतार
जग्ग घ्रुजावण जोगडा, आई लीये अवतार
जात्य अमाणी जोगडा, आई लीये अवतार
जेरण दांता जोगडा, आई लीये अवतार
जपट्युं देवण जोगडा, आई लीये अवतार
जननी चारण जोगडा, आई लीये अवतार
जो घर चारण जोगडा,ई, आई लीये अवतार
जोम द्रसावण जोगडा, आई लीये अवतार
जगती ज्योतुं जोगडा, आई लीये अवतार
जोगण ऐवी जोगडा, आई लीये अवतार
जीव बचावण जोगडा, आई लीये अवतार
जीवन सुधारक जोगडा, आई लीये अवतार
GTPL डायरा चेनल पर कागवाणी

जय माताजी


25 जून 2016
इकोपार्क इंडिया प्रा.ली
CRISIL Rating
Quality Mark Awards 2014
Quality Mark Awards 2016
Village :Paddhar,
Bhuj – Bhachau Highway,
Bhuj, Kutch - 370105
Phone: 02832 299600
www.ekopak.in
Mr. G P Barhatt
Mobile : +91 93750 06877
कोचिंग क्लास जामनगर
24 जून 2016
गुजरात पोलीस दळ वर्ग-3 भरती जाहेरात
चार बोटल ब्लड नी जरूर छे अमदावाद
Date :- 24-06-2016
🙏🏻🌹🌹🌷🌷🙏🏻
आई श्री सोनल परिवार अमदावाद ना सर्वे चारण भाईओने जय माताजी..
राजस्थान थी बेनश्री धीरजकुंवर सज्जनसिंह बारहट (64 वर्ष) ने पगमां फेकट्चर थयेल होवाथी अमदावाद सारवार माटे आवेल छे.हाल "शाह ओर्थोपिडीक होस्पीटल" (डॉ.मनिष शाह) 21,शांतिनगर, आश्रमरोड, अमदावद मां अेडमीट छे.अेमने तात्कालिक ओपरेशन करवानुं होवीथी चार बोटल ब्लड नी जरूर छे अेमना सबंधीओ अे बेटल नी सगवळ करी दीधी छे.बाकीनी बे बोटल अेमने तात्कालिक जरूर छे.अमदावादमां वसता आपणा चारण भाईओ ने विनंती के राजस्थानथी दुर थी आवेल बहेन ने बनती मदद करशोजी..
अेमनी साथे अेमनी दिकरी ओमप्रभाबेन आवेल छे.अेमनो संपर्क नं.09414320007 , 09414980154 छे.
जय मॉं सोनल..🙏🏻
भवाई वाळो भेख रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
, || भवाई वाळो भेख ||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
, गीत: सांणोर झुलणा
, दोहो
"कांडे पेरे कंकणां,पण, रज नई मां नी रेख
जो लई फरता जोगडा, भवाई वाळो भेख"
, गीत
कठण कळजुग मा जुवो केवुं बने, बहू रुपी बनी फरे बायुं
समजदारो जरा सांन मा समजज्यो, आंम अवतार ना लीये आयु, ०१
हजारो वरह नी तपस्या होय ने, भवो भव तणी जो होय भगती
जोगणी तोज अवतार ले जोगडा, छुंदणा कर्ये नई थाय सगती, ०२
मांडीयुं आ बधुं मलक मा मालवा, गांडीयुं गदोडे कैक गांडा
भेख लई भटकती कैक आ भुवण मां, खेल करवा जुवो लीये खांडा, ०३
कैक कंकू हथेळीम थी काढता, धुंणी ने बांधता कैक धागा
करे फाळा बधे सरम पण ना करे, बह बहे लुगडां बाग बागा, ०४
मोकळा केस ई करी ने मालती, सेह के सरम नई ऐक छांटो
गमे त्यां धुंणवा बेहती गाममां, फद्दीयां तणीं ई भरे फांटो, ०५
भवां नुं रुप लई भवाया भमे छे, नमे छे ऐमने कैक नेता
चारणो जुवे पण चुप बेसी रहे, कोई ना ऐमने कांई केता, ०६
कोई धुंणज्यो नही मात सोनल कहे, तमाहा करो छो केम तोये
बंध करजो हवे नाटको आ बधा, सूळी घा नई सरे सोये, ०७
ऐक बे नाम जो होय तो आपीये, घरा पर उमट्यां कैक घाडा,
सगतीयुं थवा जे करे सोखडा, वेवली तणां छे भर्या वाडा, ०८
भुवा ओ तमे के तमे तो भवाया, वेह करवा बधी केम वळगी
नाम ई सगतीयुं तणां तो नो लीयो, आई तो आ थकी साव अळगी, ०९
नागणी राफडा बार ना निकळे, ई बधी खेल ना करे आवा
जागती जोगण्युं जीवे छे जोगडा, दिखावा तणा नई ईने दावा, १०
22 जून 2016
वरखा रुतना वारणां -रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. || वरखा रुतना वारणां ||
. .रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
( राग: मोर बनी थन गाट करे नी चाल)
, दोहो
धिंगाय धरती ना धणीं, भावे मोदक भोग
तारी
वरखा रूत ना वारणा, जो ले चारण जोग,
, गीत
मेघ अती मलकाट करे..मन(०२)
करी ऐलीयु आज असाड नी सांजेय..
घोर नभे घुर्रराट करे ..मन मेघ अती मलकाट करे..टेक
कडडंम कडडंम कडडाट करे
घनघोर ग्रजी घुघवाट करे
जांणे ईन्दर हाथीय फोज लई
समशेर नभे समराट फरे (०२)
ओली मेघ नी घाराय मोभ पडी...
दडी आजे नेवे दडेडाट करे. ..मन मेघ अती मलकाट करे..||01||
ऐवी विजळीयुं वळळाट करे
धरणीं धडडाट नी आश धरे
ओली ढेलडीयुं संग ढुंग रमी..
केहु केउ मोरा कलकाट करे (०२)
जांणे जोगडा चारण जाप जपे...
गगनेय पियु गरजाट करे..मन मेघ अती मलकाट करे... ||02||
ओढी आज धरा लीली चुंदडीयुं.
पियुं नेह तणां पथ मां पडीयुं
तरबोळ हीलोळ हीया करती
अमियुं भरीयुं ऐनी आंखडीयुं..(०२)
ऐना नेह नदीयुं ना नीर बनी,
आेल्या पादर मां पुर पाट करे, मन मेघ अती मलकाट करे... ||03||
फडडाटीन फोर पडे फळीया
एनुं नीर झीली न सके नळीयां
जोगीदान अती गुलतान करी
जुवो मेघ अने धरणीं मळीयां..(०२)
धरवा सट आज ध्रपी धरणी,
पेलां दादुरीयां डहकाट करे, मन मेघ अती मलकाट करे... ||04||
(जोगीदान गढवी कृत वर्षा गीत..
मो,नं, 9898360102 )
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20 जून 2016
सी.आई.टी.ओ
रामायण - रचयिता: राजकवि पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला. भावनगर
. " रामायण "
रचयिता: राजकवि पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला. भावनगर
करबोथो जहां राज , तहां भयो बनमें निरकबो ,
हरबोथो मृगप्रान तहां , भयो सियको हरबो ,
जरबोथो कपि अंग तहां भयो लंकको जरबो ,
सरबोथो सुरकाज तहां भयो सुधी बिसरबो ,
यह बात देव दानव आगम , पिंगल कहे प्रतक्षऐ,
जगतके लोक जाने कहां , भाविके बस सबभऐ .
संकलन: अनिरुद्ध जे. नरेला. भावनगर
प्रसंग:-
वरसाद पाछो खेचतो जातो हतो, दुष्काळ नी परिस्थितियो सरजाय रही हती, 1800 पादर नी श्रद्धा ने मीट भावनगर महाराजा साहेब तरफ हती,
तो बीजी बाजू
भावनगर ने.ना.महाराजा साहेब श्री कृष्णकुमारसिंहजी पोताना वचन पालन ना सिद्धांते खूब लोक प्रिय,
एवामा ऐक वार प्रजा ना कल्याण हेतु महाराजा साहेब श्रीजी टेक लई बेठा के वरसाद ना थाय त्या सुधि हु रोज " रामायण" वाची ने ज मारी दिनचर्या शरू करिश्,
समय जातो गयो, रामायाण वाची ने दिवस सरू करवा ना प्रण मा अन्नेक कामो अधूरा रेहवा लाग्या, प्रजा दर्शन माटे राह जोई जोई ने थाकि, त्यारे अचानक वेहलि सवारे हुकम: थयो के मारी पर्सनल गाड़ी मोकलो
अने " राजकवी पिंगळशीभाई" ने आज वेहला तेडावो.
सो सो कोयडा नो उकेलनार कोई बाळपण नो भेरू वर्षो पछि मळयो होइ ने जे हरख थाय एवा हरख थी स्वागत् करायु, मंदिरे बेसी ने टेक विशे, अने तेने कारणे उपस्थित परिस्थिति नी पण चर्चा थई,
त्यारे त्यांज बेसिन भावेणा ना भूप नी टेक पण सचवाय अने प्रजा कल्याण नो हेतु पण जळवाय ऍम आ "संक्षिप्त" रामायण सार नि रचना थई.
दुष्काळ नु वर्ष टळी ग्यु,
राज्य मा सुख समृद्धि नी रेलम छेल थई.
अने प्रजा वत्सल ने.ना. भावनगर माहाराजा साहेब श्री कृष्णकुमारसिंहजी नी जय जय कार हंमेश नी जेम फैलाय गई...
ईरखा ने अंहकार रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. || ईरखा ने अंहकार ||
, रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
, दोहा
कई कई ने थाक्या क्रशन , खुट्यो कदी ना खार
जगथी जशे न जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०१
देवो पण थाता दखी, चडीया जो जुग चार
जवां सदा थी जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०२
पोतानी आखी प्रथी, करे न होय करार
जुवो सिकंदर जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०३
फकिर थया पण लई फरे, ममता तणो मदार
जो में त्याग्युं जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०४
सबळ करो जब साधना, ईरखा परे अपार
जीती गयो हुं जोगडा, ऐ पण थ्यो अंहकार.०५
ममता ने माया मुकी ,सूंन्य थया मां सार
जगत पुरांणुं जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०६
घाम सकळ फरशो घरा,पुज्ये न थाशो पार
ज्यां लग घट मां जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०७
दबवी सके न दैत ने, ईश्वर ना अवतार
जीवे हजी पण जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०८
अंगत पर ना आवसे, एज करे अणसार
जीतवुं कई रीत जोगडा, ईरखा ने अंहकार.०९
ब्रह्मा ने शिव बाघता, हुं पद कर हुंकार
जीव जीते शे जोगडा, ईरखा ने अंहकार,१०
जुठुं खरुं शूं जोगडा, समज पडे नई सार
ईश्वर ने पण आवता, ईरखा ने अंह कार,११
18 जून 2016
कागवाणी
*श्री निर्मळदान गढवी*
*श्री भगवतदान गढवी*
17 जून 2016
वर्षा ना वधामणां रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. || वर्षा ना वधामणां ||
. सारसी
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
कडडाट कडडड ग्रजे गडडड हडड वादळ हालीयां
धडडाट धडडड प्रथी पल्ले नही झल्ले नालीयां
दडडाट दडडड नीर दोड्यां शेरीयुं भर साजींयां.
अण वखत अंबर मेघ डंबर गगन गंबर गाजीया ||01||
समशेर लई ईन्दर सुरातन उतर फौज्ये आवियो
काळा कटक घन केर करवा शकळ गगने सावियो
वरळाक छम धर व्योम विजळ वादळां दळ वाजीयां
अण वखत अंबर मेघ डंबर गगन गंबर गाजीया ||02||
रंगेल काळां रेट वादळ रच्या आभे राहडा
व्रेमंड ने भुं खंड भेळां मच्या खळखळ माहडा
असमान जोगीदान धारा धोध मुसळ धाजीया
अण वखत अंबर मेघ डंबर गगन गंबर गाजीया ||03||
घन घोर गगने घटा बंधी वाल धरणी वरहीयां
भालां बणीं भोकाय पांणी पंड्य परणी परहीयां
परण्यो वहे परदेह ऐवा देह विरहण दाजीया
अण वखत अंबर मेघ डंबर गगन गंबर गाजीया ||04||
जोगण जपे जळ जोगडा तप तपो बळ धर तांणीया
धरणीं धणीं जळ धोध धारे आभ वादळ आंणीयां
फडडाट फोरे घुमड़ घोरे झींक परहळ झाझीया
अण वखत अंबर मेघ डंबर गगन गंबर गाजीया ||05||
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16 जून 2016
नोटबुक वितरण राजकोट
लाखाभाई जामंग चेरीटेबल ट्रस्ट, जीवणी मां मुलरव बुक बेंक तथा गढवी फ्रेन्डझ ग्रुप राजकोट ना सहयोग थी दर वर्षनी जेम आ वर्षे पण राजकोट मां वसता चारण गढवी समाजना विधार्थी भाई-बहेनोने फुलस्केप बुक तथा बोलपेननुं विना मूल्ये वितरण ता.12-06-2016 रविवार ना सवारे श्री सोनल जनरल स्टोर खातेथी करायेल हतु.

