.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

આઈશ્રી સોનલ મા જન્મ શતાબ્દી મહોત્સવ તારીખ ૧૧/૧૨/૧૩ જાન્યુઆરી-૨૦૨૪ સ્થળ – આઈશ્રી સોનલ ધામ, મઢડા તા.કેશોદ જી. જુનાગઢ.

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29 नवंबर 2015

मांडवी तालुका / जील्ला पंचायत चूंटणी-2015

मांडवी तालुका / जील्ला पंचायत चूंटणी-2015

तालुका सीट वाईझ मतदान टकावारी

समय 8-00 थी 4-00 सुधी

क्रम नाम               टकावारी

1- बाड़ा         - 44.88 %
2- बाग़          - 64.54 %
3- बायठ.      - 62.08 %
4-बिदडा-1.   - 50.00 %
5-बिदडा-2.   -51.03 %
6-दरशडी      -66.89 %
7-दुर्गापुर      -50.73 %
8- गढ़शीशा-1  -57.66 %
9-गढ़शीशा-2  - 57.97 %
10-गोधरा  - 57.58 %
11-गुंदीयाळी - 70.24 %
12-काठडा -  63.82%
13-कोडाय - 63.49 %
14-मउ मोटी  - 59.95 %
15-मोटी रायण - 54.10 %
16-नाना भाडिया - 68.37 %
17-रामपर - 55.76 %
18-शेरडी - 68.64 %
19-तलवाणा - 69.88 %
20-विराणी नानी - 58.48

कुल मांडवी तालुकों - 59.53

रिपोर्ट बाय :- www.charanisahity.in

28 नवंबर 2015

|| फोरम्युं देतुं फुल ||.     रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.              || फोरम्युं देतुं फुल ||
.     रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
फोरम्युं देतुं फुलडुं मारुं..आंगणे उगेल आ..
काली घेली ऐनी काकलुदी मा..बोलतुं बापु ने बा...
फोरम्युं देतुं फुलडुं मारुं..आंगणे उगेल आ.....टेक...
कॉडीयुं कुके ढिंगले कायम..हसतुं  रमतुं  हेत..
जाळवुं शी रीत जांणतो तोये..राखी मुठी मां रेत...
ओछीयाळी मारी ओसरी थाशे.(ज्यां ई) पगली देतुं पा..
फोरम्युं देतुं फुलडुं मारुं..आंगणे उगेल आ.......(01)
माड्युं करे ई रमकडां मांडी.ई.छोडती जाणें छाप
पेट जणीं मारी पारकी थाशे.. बाळ तो हैयुं बाप
वीर भले ऐनी मांड्य विंखे तोय..जीभ थी ना के जा..
फोरम्युं देतुं फुलडुं मारुं..आंगणे उगेल आ......(02)
आंख खुली त्यांतो आंगणे ऐणे..जोयी उभेली जान
सरणायुं ये तो सेरडो पाड्यो..दिधुं  ज्यां कन्या दान
पारकी कीधी आज पिताये .(हवे)रेडवी क्यां जई रा...
फोरम्युं देतुं फुलडुं मारुं..आंगणे उगेल आ.....(03)
फरतुं फेराय हीबका लेतुं..नीचलां ढाळीन  नेंण
मौंन थियां नित्य लागतां मिठा .(जे)..विरडा जेवां वेंण
लमणो वाळीन आंखडी लुछे..(मारा) धट मां वागे घा...
फोरम्युं देतुं फुलडुं मारुं..आंगणे उगेल आ......(04)
ध्रुहक्यो ढोल ने काळजां ध्रुज्यां..गुंज्या विदायुं गांन
निकळ्यो जांणो नांभीये थी मारो ..जीवडो जोगीदांन..
आंख सामे मारो आतमो हाल्यो..(मारे )भणवुं कोने भा..
फोरम्युं देतुं फुलडुं मारुं..आंगणे उगेल आ.....(05)

रचयता : जोगीदान गढवी (चडीया) मो.नं.9898360102


ऐक मतनी ताकात

हुं मत आपु के न आपु, मारा ऐक मतथी शु फेर पड़े ?

आवु बोलता पहेला विचारो......

➡ ऐक मतनी ताकत
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🔹1917 मां ऐक मत ओछो मळता अमदावाद कॉर्पोरेशनमां श्री सरदार वल्लभजीभाई पटेल हारी गया.

🔹1998 मां ऐक मत ओछो मळता श्री अटलबिहारी बाजपेयनी भाजप सरकारने शासक पक्ष मांथी विरोध पक्षमां बेसवानो वारो आव्यो.

🔹2008 मां डॉ.सी.पी.जोशी नाथद्रारा(राजस्थान) विधानसभानी चुंटणी मां ऐक मत थी हारी गया हता.

माटे.......

आवतीकाले ता.29-11-2015 ना रोज योजानार नगरपालिका/ जील्ला / तालुका पंचायतनी चुंटणीमां स्वच्छप्रतिभा धरावता अने राष्ट्रवादी विचार सरणी धरावता उमेदवारोने मत आपी राष्ट्र निर्माणना कार्यमां सहभागी बनी आपणी फरज निभावीऐ.

याद राखो आपणो ऐक मत दशा अने दिशा बदली शके छे.

टाईप बाय :- www.charanisahity.in

      🙏🏻 वंदे सोनल मातरम् 🙏🏻

25 नवंबर 2015

कविश्री दुला भाया काग (भगत बापु)नी 113 मी जन्म जयंति


आजे कविश्री दुला भाया काग (भगत बापु)नी 113 मी जन्म जयंति छे
आजे काग बापु ना टुंकमां परिचय साथे तेमना स्वरमां अप्राप्य ऑडियो मुकवानो नानकडो प्रयास करेल छे.

चारण गौरव भग्तकवि पद्म श्री दुला भाया काग ना जन्मदीन नी हार्दीक वधायुं
पद्मश्री कवि दुला भाया काग (भगत बापु ) नो संक्षिप्तमां परिचय  

------------------------------------
नाम          :- दुला भाया काग
पितानुं नाम :- भाया काग
जन्म तारीख :- 25-11-1902
जन्म स्थळ  :- मजादर ता. महुवा जी-भावनगर
अभ्यास    :- पांच धोरण
काव्य ग्रंथ :- कागवाणी भाग 1 थी 7
भारत सरकार द्रारा ता.26-01-1962 ना रोज पद्मश्री ऐवोर्ड थी पुरस्कृत कवामां आवेल
अवशान :- 22-02-1977

GUJARATI MA PDF FILE MATE :- Click Here

आजे दुला भाया काग(भगत बापु)ना स्वरमां नीचे मुजबना ऑडियो मुकवानुं नानकडू प्रयास करेल छे.


  1. RAMAYAN-RAM AVTAR
  2. RAMAYAN-KAI KAI VARDAN
  3. RAMAYAN-SITA HARAN BHAG-1
  4. RAMAYAN-SITA HARAN BHAG-2
  5. KAG VANI-1
  6. KAGBAPU
  7. RAMAYAN
  8. RAM NU RUP DHARU TY
  9. PAG MANE DHOVA DYO


➡ ओडियाना नाम  पर क्लिक करशो ऐटले Download Anyway ऑप्शन आवशे तेना पर क्लिक करशो ऐटले डाउनलोड थई जाशे

➡ आ अप्राप्य ऑडियो कुरियर मारफते मोकलाववा बदल श्री वेरशीभाई वरमल रे. भाटिया ता. काल्याणपुर जी द्रारका वाळानुं खूब खूब आभार

        वंदे सोनल मातरम् 

|| कंठ मयूरी काग || || कंठ मयूरी काग ||

चारण गौरव भग्तकवि पद्म श्री दुला भाया काग ना जन्मदीन नी हार्दीक वधायुं .....
.            || कंठ मयूरी काग ||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
धन धन माता धानबा,भाया ना बड़ भाग
जगमां पाछो जोगडा, क्यारे जनमे काग.१
मळे न आखा मलकमा, तव कविता नो ताग
जायें वाटु जोगडा, (हवे) क्यारे जनमे काग.२
खाइ खुखाारो खेहता, खतरी हथमा खाग
जोम भरंडो जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.३
देव समो ई दीपतो, पेरी सिर पर पाग
जोगी रुप सो जोगडा, क्यारे जनमे काग.४
काग वांणी ये कोळव्यां, बावन फुलडां बाग
जबर कवि ई जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.५

कलम थकी कंडारियो, राज पुतांणी राग
जगवे ऐवो जोगडा, (हवे) क्यारे जनमे काग.६
छटा अटंक छपाखरे, रुषी समोवड राग
जपट करंदो जोगडा, क्यारे जनमे काग.७

जळक्यो चारण जातमां ,आतम रखी अदाग
जपतो राघव जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.८
छँद दुहा नोखी छटा, रसभर मिठडो राग
जीवने अरघे जोगडा, कंठ मयूरी काग.९


24 नवंबर 2015

|| सोनल गई सिघार ||. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.      || सोनल गई सिघार ||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
गमियो खुब गमारने, दारु तणों दीदार
जे दुख हारे जोगडा, सोनल गई सिधार.१
कर्यो न नाते कोयदी, ऐक वखत ईकरार
जगसे अबतो जोगडा, सोनल गई सिधार.२

कर्या हता बउ कोडथी ,ऐक थवा उपचार
जरी न समज्या जोगडा, सोनल गई सिधार.३
कान धरे ई केमनी , परमेहरी पुकार
जिवे न जांणीं जोगडा,सोनल गई सिघार.४
नफट बनेली नात नो, विगते करी विचार
जीव बाळी ने जोगडा, सोनल गई सिघार.५
अति हरख थी आईती, चारण सुंणी चीतार
जुवो ई  रोती जोगडा, सोनल गई सिधार.६
अंगत हित सुं आखडे, भरी अहम घट भार.
जोई दुभाती जोगडा, सोनल गई सिधार.७
खुद जाण्यु नाही खलक, ऊंघल रिया अपार
जगवे ऐवी जोगडा, सोनल गई सिधार.८
अती विचारी आखरे, बा ई पडी बिमार
जिवन तजी ने जोगडा,सोनल गई सिधार.९
आप्यो जे आदेशथी, सीस्या दौलत सार
जिवे रदय मां जोगडा, सोनल गई सिधार.१०
आंखडीये आंसु तणी, धधकी रहेल धार
जणवुं कोने जोगडा, सोनल गई सिधार. ११


23 नवंबर 2015

बळदेवभाई हरदानभाई नरेला" रचित एेक चरज

आजे आई श्री सोनबाईमाँ मढडा नो 41 मो निर्वाण दिवस छे
आ निमिते भावनगर राज कविश्री "बळदेवभाई हरदानभाई नरेला" रचित एेक चरज नुं रचपान करीयें
मढडामां भाळी में मरमाळी रे ,
माताजी तारी मुरती रे जी.( टेक)
लाख लाख दीवडाना , तनथी तेजाळी रे {2}
अे जी एेने आतमाना तेजे पृथ्वी उजाळी रे .
माताजी तारी मुरती रे.......(टेक)
वहे छे मुखेथी जेने , वाणी चार वेद वाणी {2}
अे जी अेवा ग्नान रे पुराणो पीधा जेने गाळी रे.
माताजी तारी मुरती रे.......(टेक)
देवी छे दयाळी जेना , थानके मळे छे थाळी {2}
अे जी एनो आतमो हुलासे अतिथी ने भाळी रे .
माताजी तारी मुरती रे.......(टेक)
खरुं समरण भाळी , भले होय रात काळी {2}
अे जी केवी छे कृपाळी पुगे पण पाणी रे.
माताजी तारी मुरती रे.......(टेक)
भजे 'बळदेव' भाळी , मढडाना मढवाळी {2}
अे जी एवी प्रसन्न रहोने माडी परचाळी रे .
माताजी तारी मुरती रे.......(टेक)
रचयता :- भावनगर राज कविश्री बळदेवभाई हरदानभाई नरेला
टाईप :- मनुदान गढवी - महुवा
   वंदे सोनल मातरम् 

|| असो बुढापो ऐक || रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.               || असो बुढापो ऐक ||
.        रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
केस सकळ कालप तजे, टीके न अणनम टेक
जुकवे तनडुं जोगडा, असो बुढापो ऐक
जो आवण से जोगडा, डरता रहत दरेक
भडवीर नो भुक्को करे, असो बुढापो ऐक
यौवन जातां अंगसे, हररी जात हरेक
जतो न केदी जोगडा, असो बुढापो ऐक
उमंग जावत ओहरी, विहरी जता विवेक
जीगर हरी ले जोगडा, असो बुढापो ऐक
करचलियुं जे काळनी ,अंगे पडी अनेक
जोबन भ्रखतो जोगडा, असो बुढापो ऐक
नेंणे निंद नहाडतां, ठुमकां उघरह ठेक
जर्यो न जातो जोगडा, असो बुढापो ऐक
भाम सकळ भाभा भणें , डोहो गणत दरेक
जरी गमे नई जोगडा, असो बुढापो ऐक

काया थर थर कंपती, अंगे करच अनेक
जीव जलावे जोगडा , असो बुढापो ऐक
काम सकळ घरनां करे, दादा कही दरेक
जीवन उजाळे जोगडा, असो बुढापो ऐक
मोह सकळ मनरा मीटे, सुसमण आतम सेक
जोग समय दे जोगडा, असो बुढापो ऐक


शकित चालीसा रचियता कविश्री दुला भाया काग ( भगतबापु )

आवतीकाले आईश्री सोनल मांनो 41 मो निर्वाण दिवस छे
आ निमिते कागबापु  रचित शकित चालीसा माणीये


माडी तारां बेसणा गढ गिरनार ,
नवे खंड नजरुं पडे रे .....जी ;
माडी तारो मढडे नेसळ  वास ,
उगमणे ओरडे रे.....जी ; (टेक)...1
माडी तें तो कळजगमां चारण कुळ ,
आइ उजळुं कर्यु रे .......जी ;
माडी तें तो दीपाव्यो सोरठ देश , 
धजाळी खोळियुं धर्यु रे......जी ; ||2||
माडी  तारी मेर्युना मेवला मंडाणा ,
गोम वोम गाजी उठ्या रे .......जी ;
माडी जेणे हडांना खेतर खेड्या ,
वावणीया वेता कर्या रे ......जी ; ||3||
माडी तारा वचनुंनां बी वाव्या ,
कोठारे रुडा कण भर्या रे..... जी ;
माडी, अेने दाणे दाणे दीनोनाथ ,
विशंभर वातुं करे रे......जी ; ||4||
माडी जेणे उनाळे हळ तो हांकयां,
ऐनी वावणी वणसी गई रे....जी
माडी अे तो बियारण खाईने बेठो ,
खेप अेनी खाली गई रे......जी ; ||5||
माडी तारी दया डुंगरडानां पाणी ,
कायरनी दे'युं कंपी रे.....जी ;
माडी, जेणे शंकानी छतरी उघाडी ,
काळज साव कोरां रिया रे .....जी ; ||6||
माडी तारी मोजुंनो दरियो मोटो ,
लाख लाख लेरुं चडे रे .....जी ;
माडी तारा शब्दुना सढ बांधी ,
निवेडी जेणे नावडी रे ......जी ; ||7||
माडी, अेमां ओगळी रात अंधारी ,
काळकाअे काजळ घोळ्या रे.....जी ;
माडी, अेणे नवलख आंखडी आंजी,
तारलियाएे लोचन बीड्यां रे ....जी ; ||8||
माडी ऐवी नाविकनी नजरुं मूंझाणी,
सोनबाई, वारे चड्ये रे.....जी ;
माडी, तुं तो करुणाने उजळे कांठे ,
झबूकी जोत्य जोगणी रे.....जी ; ||9||
माडी तारा खमकारा गगने गाज्या ,
पाणीमां अजवाळां पड्या रे......जी ;
माडी, तारां वचनुंना जे विशवासी ,
बूडे नई अेनी बेडली रे .....जी ; ||10||
माडी ऐवो जादवे रणथंभ रोप्यो ,
प्रभासने पादरे रे .....जी ;
माडी, अेवा बेटाने बापे संघार्या ,
द्वारकामां दरियो रेल्यो रे......जी ; ||11||
माडी अेवा दारुना दैत्यथी दुभाणो ,
देवकीनो दीकरो रे...जी ;
माडी, ई तो सोड्युं ताणीने सूतो , 
पाटणने पीपळे रे.....जी ; ||12||
माडी, अेणे देवनां दलडा दुभाव्यां ,
सोरठने शरम घणी रे .....जी ;
माडी, अेवा दारुने देशवटो देवा ,
अंबा तुं अवतरी रे .....जी ; ||13||
माडी, पाछा दारुडे देवळ बांध्यां ,
देवने दु:ख पड्या रे....जी ;
माडी, आज दावानळ डुंगरे लाग्यो ,
बाई. जो भडका बळे रे ....जी ; ||15||
माडी, अेणे लाखुंने भरखी लीधा ,
मेडियुंमां मसाण कीधां रे .....जी ; 
माडी, तारा नेहडामां दैत जो नाचे ,
जणेता कां जोई रई रे....जी ? ||15||
माडी, तारा तपनां तरशूळ धारी ,
सोनल था साबदी रे .....जी ;
माडी, हवे जाडा रथडा जोडो ,
धरती धम धमे रे .....जी . ||16||
माडी, तारे चोसठ जोगणी साथे ,
चोरासनी चारण्युं रे ....जी ;
माडी, आखा वर्णनी करजे वार्यु ,
असुरने उथापजे रे.....जी ; ||17||
माडी, कैक मनना मानवी मेला ,
पाघडियुं तारे पगे धरे रे ....जी ;
माडी, तारी छबियुं घरमां चोडे ,
कीधेलुं तारुं नव करे रे.....जी ; ||18||
माडी, अेतो दारुनी घंटीए दळाणा ,
रुदियामां राखुं उडे रे......जी ;
माडी, अेणे विशवासने वटलाव्यो ,
आतमो उज्जड थियो रे.. .. जी ; ||19||
माडी, अेतो दुबजानी घाणीअे पिलाणा ,
अे तलमां तेल नथी रे.....जी ;
माडी, अेना छेल्ला जीवन - झबकारा ,
दीवामां दीवेल नथी रे....जा ; ||20||
माडी, अेतो भाग्यनी वातुं भांखे ,
कामवानी नंद्या करे रे ..... जी ;
माडी, अेनो ओलातो जीवडो जागे ,
आशिषुं  आपजे रे ....जी ; ||21||
माडी, अमे छोरु कछोरु सांभळ्या छे ,
पण मावडी न माया मेले रे.....जी ;
माडी, तें तो ठारी हत्यानी होळी ,
तोळाणी सत त्राजवे रे.....जी ; ||22||
माडी, तें तो दोरा धागाना वे'म टाळ्या ,
करमनी केडी चींधी रे ....जी ;
माडी, तारी आण छे रामनी रेखा ,
आंगळे रावण उुभो रे.....जी ; ||23||
माडी ! तारा लीटीने लोपीने जाशे ,
तो जानकीनां जोखम थाशे रे ......जी ;
माडी, तारा ऊजळा आवकार माथे ,
ओळघोळ काया करुं रे .....जी ; ||24||
माडी ! तारे पगले फुलडांनी फांटुं ,
भमर थईने भम्या करुं रे ......जी ;
माडी, तारा कंठमा कायम बोले ,
वा'लाजीनी वांसळी रे .....जी ; ||25||
माडी, तारां नमणा नरंमळ रुप ,
क्रोड क्रोड वंदन करुं रे... .जी ;
माडी, तारा गरवा गूढा वेश ,
भजे रुडो भेळीअो रे......जी ; ||26||
माडी, तारी लटमां जमना झूले ,
जीभडीये गंगा झरे रे .....जी ;
माडी, तारां रिध्धिअे भरीआं राज , 
संकल्पमां रधिये भरीया रे .....जी ; ||27||
माडी, तुं तो रमझमता रथडामां ,
नेहडामां नीसरी रे......जी ;
माडी, आज सोळे सज्या शणगार ,
नोरतानी नोबत वागे रे..... जी ; ||28||
माडी, तारे माथडे सांधेल तेल ,
सेंथामा सिंदुर पुर्या रे....जी ;
माडी, अेवी काळी बे वादळी वताळे ,
श्रावणनी संध्या खीली रे.....जी ; ||29||
माडी, अेवी तांत ने टीलडी शोभे ,
अकोटडे आंटी वळे रे......जी ;
माडी, तारी नथमां नरमळ मोती ,
चांदलीअे बीज शोभे रे......जी ; ||30||
माडी, गळे हींडळे हूलर हार ,
सीड ने सांकळी रे ......जी ;
माडी, पगे कांबी ने रुमझोळ रुडा ,
वींछीया वातुं करे रे .....जी ; ||31||
माडी, तारा नेपुरनी घूघरी नाचे ,
हंसनां बाळक बोले रे ......जी ;
माडी, तारो चोसरो खळके चूडो ,
आभ अेने ओछो पडे रे.....जी ; ||32||
माडी, में तो कोई दी कीधां होय ,
पुण्य तारे पगे धरु रे ....जी ;
माडी, हुं तो उुपाडी एकलो हालुं ,
मारुं पापनुं पोटलु रे.....जी ; ||33||
माडी, मने अेटलां वरदान देजो ,
भोगवीने भव तरुं रे......जी ;
माडी, मारी दैयुं ने आगमां ओरुं ,
कायाने कंचन करुं रे ......जी ; ||34||
माडी, कोई दु:खीयाने दु:खने दोरे ,
नट जेम नाच्या करुं रे.....जी ;
माडी, मारुं जीवतर होडमां हारुं ,
त्राजवडे माटी तोळुं रे... जी ; ||35||
माडी, मारे माथडे करवत मेलुं ,
वर्णना प्राछत वोरुं रे.....जी ;
माडी, तुंने पारखशे कोई पुण्यवाळो ,
अंतर आंख उुघडी रे......जी ; ||36||
माडी, अमे भमीअे रात - दी भेळा ,
जेम आउमां ईतडी रे.....जी ;
माडी, जेना ओला भवना अपराध ,
के आ भव आवी मळ्या रे.....जी ; ||37||
माडी, अेनां डा'पणनां नीर साव डोळा ,
भोळा संगे भूतडा रे.....जी ;
माडी, तुं तो आभथी अेवडी ऊची ,
आज मने खबर पडे रे ......जी ; ||38||
माडी, में तो गीतनो हारलो गुंथ्यो ,
पोगाडुं केम कंठडे रे.....जी ;
माडी, में तो आभमां मीटडी मांडी ,
आंखडियुं ओछी पडी रे .....जी , ||39||
माडी, हुं तो थाकी ग्यो दूबळी देये ,
बेसी गयो तारे पाये पडी रे.....जी ;
मांडी, हुं तो आंख्युं वींचीने अकळाणो ;
लोबडियाळी तेडी लीधो रे......जी .||40||
मांडी, आ तो नथी चमेली मोगरानां ,
वगडानां फूलडां रे.....जी ;
मांडी, मने शारदाअे फूलडा दीधां ,
फूलडांमां फोरं रे... ...जी ; ||41||.
मांडी, आ छे शकितना चालीसा,
शीखे ने जे सांभळे रे....जी ;
मांडी, जे वांचे विचारे ने पाळे ,
तो सघळा संकट टळे रे ......जी ; ||42||.
मांडी, मने " काग " के रुदिये रेजो ,
ध्यान तारा धामनुं रे......जी ;
मांडी, हुं तो छेल्ली घडीअे नव चूकुं ,
समरण सीता - रामनुं रे .....जी , ||43||


रचियता कविश्री दुला भाया काग ( भगतबापु )

टाईप :- मनुदान गढवी महुवा

(भुल होय तो सुधारीने वांचवु )

         वंदे सोनल मातरम् 

आईश्री सोनल शकित चालीसा कर्ता :- आशानंद सुराभाई गढवी

आवतीकाले आईश्री सोनल मांनो 41 मो निर्वाण दिवस छे
आ निमिते आशानंदभाई गढवी रचित आईश्री सोनल शकित चालीसा माणीये

आईश्री सोनल शकित चालीसा

           दोहो

सोनल गुन सागर सम,
विशाल व्योम समान
बरनहुं चारन बिमलयश,
शकित दे कृपा निधान

             चोपाई

जय सोनल शकित सुख करनी |  जय हमीर सुता दू:ख हरनी ||
राणल पुत्री जननी भवानी |   असुर मर्दिनी चंडी समानी ||
श्याम लोंबडी नयन विशाला |  शकित स्वरूपे चारन बाला ||
सोनल रूपे तुं हीं सुहावे |  बालक दरशन कर सुख पावे ||
भारत भूमि गुर्जर देशा |   जहां जन्मे सब संत विशेषा ||
सोरठ धरा मढ़डा ग्रामा |   प्रगटी सोनल शकित श्यामा ||
पोष शुकल बीज सुखदाई |  चारन गृहे अंबा आई ||
प्रगट भई सोनल पुनिता |  शिखावन आई अंबा सुनीता ||
चारन कुलमें हुई काल रात्री |  सोनल सुविता भै सुखदात्री ||
तुं हीं,भारती आवड आई |  खोडल,मोगल,हिंगला माई ||
देवल, राजल मा सोनबाई |  रवेची, बौचर अरू नागबाई ||
कागल, पीठळ मा तुं करनी |  अशरन शरन तारन तरनी ||
तुं हीं सर्व शकित स्वयं जग मांहीं |   सचराचरमां तुं हीं समाहीं ||
सांया ईसर दास तुमारा |  पुत्र भक्तमां प्राण ते प्यारा ||
काग, पिंगल, शंकर समाना |  शकित तुम्हारी से बलवाना ||
समाजमां निज गेह बुलाये |  चारन वंदन करी हरषाये ||
ग्राम ग्राम में सोनल आई |   धर्म काज धुमी सब माई ||
धरम स्थापन अंबा आई |   सत्य सनातन रक्षक कहाई ||
ऐकहीं माला मोती अनेका |  बिखर गये थे चारन लोका ||
पुन: सुगंठीत मा सब किन्हा |  द्रेष कलेष बिदाय लीन्हा ||
नमो नमो मा मढडा वासी |  नमो नम: सोनल सुखरासी ||
बल बुद्धि विधा गुन शील खानी |  दे सुख शांति कृपालु दानी ||
ज्ञान विज्ञान संपत्ति दाता |  सद् गुन दे आई सोनल माता ||
चारन समाज है बड भागी |  जिन पर आई अंबा अनुरागी ||
जयति जयति सोनल जगमाता |  आदि शकित त्रिभुवन दाता ||
यश तुमारो जन जन गावे |  सुमीरी नाम सब फल पावे ||
आई अन्नपूर्णा सब जगपाला |  सर्जक संहकार माहीं दयाला ||
तुं हरता करता सुखकारी |  भुवन तिनमें ज्योति तुमारी ||
जय जय जय सोनल सुखदाई |  चारन तारन अंबा आई ||
करुणा महीं तु वत्सल माता |  तुं ही सुख सत्य शांति दाता ||
कष्ट निवारण चारन देवी |  भकत जन गण सदा तुम सेवी ||
असुर सामे चंडी जवाला |  बालक पर मा होई दयाला ||
कोटी कोटी पूजहीं सब देवा |  चाहत ब्रह्म महेश तुज सेवा ||
तुम गुन सागर पार न पावे |  शेष शारद सत मुख गावे ||
जो भकत पाठ करे सत बारा |  मिटे कलेश दु:ख शोक अपारा ||
श्रध्धा सहित चालीसा गावे |  प्रेम भकित परम पद पावे ||
जगत नियंता ज्ञान विज्ञानी |  सिध्धि करो मम काव्य बानी ||
व्यापी सकलमें तुं हीं भवानी |  यथा मतिमें ऐति बखानी ||
बालक शरन मा निज जानी |  करहुं कृपा मा तु हीं भवानी ||
"आशानंद" बाल तुम्हारा |  छमहुं दोष सकल हमारा ||

चारन सुता जगमात, संकट हरहुं सुखरूप
जगदंब मम हृदय रहो, सोनल शांत स्वरूप

      श्री सोनल मात की जय

     श्री सोनल चालीसा समाप्त

कर्ता :- आशानंद सुराभाई गढवी
गाम- झरपरा ता.मुंदरा-कच्छ
           मो-9824075995
टाईप :- www.charanisahity.in

           वंदे सोनल मातरम् 

22 नवंबर 2015

मित्रता विशे बोध कथा

मित्रता विशे बोध कथा 
एक फकीर बहुत दिनों तक बादशाह के साथ रहा बादशाह का बहुत प्रेम उस फकीर पर हो गया। प्रेम भी इतना कि बादशाह रात को भी उसे अपने कमरे में सुलाता। कोई भी काम होता, दोनों साथ-साथ ही करते। एक दिन दोनों शिकार खेलने गए और रास्ता भटक गए। भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे। पेड़ पर एक ही फल लगा था। बादशाह ने घोड़े पर चढ़कर फल को

अपने हाथ से तोड़ा। बादशाह ने फल के छह टुकड़े किए और अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा फकीर को दिया। फकीर ने टुकड़ा खाया और बोला, -बहुत स्वादिष्ट! ऎसा फल कभी नहीं खाया। एक टुकड़ा और दे दें। दूसरा टुकड़ा भी फकीर को मिल गया। फकीर ने एक टुकड़ा और बादशाह से मांग लिया। इसी तरह फकीर ने पांच टुकड़े मांग कर खालिए। जब फकीर ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो बादशाह ने कहा, यह सीमा से बाहर है। आखिर मैं भी तो भूखा हूं। मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं करते। और सम्राट ने फल का टुकड़ा मुंह में रख लिया। मुंह में रखते ही राजा ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह कड़वा था। राजा बोला, तुम पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा गए? उस फकीर का उत्तर था, जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले, एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं? सब टुकड़े इसलिए लेता गया ताकि आपको पता न चले।

दोस्तों जँहा मित्रता हो वँहा संदेह न हो, आओ कुछ ऐसे रिश्ते रचे...
कुछ हमसे सीखें , कुछ हमे सिखाएं..

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|| रही नई केम खुद्दारी || . रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.           || रही नई केम खुद्दारी ||
.    रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
.                गीत : रसावली
कळाता कैक भीखारी हजी भारत महीं भमता
छतां ईस्वर सरम कर नाथ कई ने ऐ तने नमता
विंणे छे साव नांना बाळ कचरा मांय कोथळीयो
जगत नो नाथ जोगीदान केवो बाप तुं बळीयो??
हजी बुड्ढी जनेताओ विंणीं ने लाकडां लावे
न सळगे तोय चुल्ला फुंक धुंवे आंख धुंधावे.
धर्या अवतार जे धर पर छतां तुं ना रह्यो साथे
हवे ना आवतो हेठो मर्यो रहेजे सरग माथे.
दीधाता खुब वचनो देव ई चारण कहां चाल्या?
मळ्युं योवन्न, सत्ता धन्न माया मोह मां माल्या ?
नथी चडीया थवातुं आंम लुक्खी वात लखवा थी
सधातो  जोग साचो रांक हंदी राज रखवा थी..
सवालो छे धणां जडता नथी उत्तर जगत दाता
वळी क्यारेक चडती रींह तो आ गीतडां गाता
जुवो ना मानता खोटुं अमे साचुं सुणाव्युं छे.
धर्युं छे ध्यान तारुं कांय ना ढांक्युं धुणाव्युं  छे.
हजारो लोक भुखे पेट कां फुटपाथ पर सोवे??
सहीदो नी जनेताओ रझळती राह पर रोवे??
जनम सा काज जोगी दान तमने आपीयो जगमा??
रही नई केम खुद्दारी तमरा रक्त के रगमां??


21 नवंबर 2015

|| जगत तात (खेडुत) || . दोहा रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.           || जगत तात (खेडुत) ||
. दोहा रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
अथरो था मत आदमी, धर ने थोडिक धीर
जोड्य बडद नी जोगडा, विनवे खेडुत वीर
उगसे सुरज ऐकदी,(नीत) रहे न खेडुत रात
जोतर धारी जोगडा,(तने) विनवी करता वात
क्यांथी नांणा काढवा, बिजवारा ना बाप
ज्यारे पाके जोगडा, भाव थता त्यां भाप.
गीरो पड्यां घर गाममां, खुदनी रही न खेर
तोय
जगत तात कई जोगडा, करता नेता  केर
खोप कर्यो छे खेतरे,(ई) कोई धरे नई कान
जगत तात नो जोगडा, मरो पुरो तुं मान
गणता जेने गरीबनी, (अहीं) कस्तुरी कइ केक
ई, सो ये पोहची सेक, (हवे)जमवुं सेमां जोगडा
दुघ माटे सउ दोडता, छांटो मळे न छास
जुवोन केवी जोगडा, अच्छे दन की आस
खरा मघाने खेतरे, (जई)खेडुत करतो  खंत
जरी न जाणें जोगडा,आणे भावो अंत
पांणत करतो प्रेमथी, बळद्या ने के बाप
ऐनी
मोटप केरुं माप, जडे न गोत्युं जोगडा
कंण पड्याता कोठीये, खेतर नाख्या खोई
हवे
रहीयें  बेठा रोई, (आ) जोतां भावो जोगडा


आज क्रांतिकारी केसरी सिंहजी बारहठनी जयन्ति हैं

आज क्रांतिकारी केसरी सिंहजी बारहठनी जयन्ति हैं
. सम्पुर्ण चारण समाजकी नहिं पुरे राजस्थान व देश के गौरव थे
. क्रांतिकारीयो में पुरे परिवार के बलिदान का उदाहरण ईतिहास में नहिं मिलता है .
. केसरीसिंह जी ने "चेतावणी रा चुंगट्या " भेज मेवाड़ के महाराणा फतहसिंह जी को दिल्ली दरबार में जाने से रोकाथा .
.  ईनके भाई व पुत्र भी बलवेदी पर हंसते - हंसते शहीद हो गये थे .
. ईनकी हवेली को शाह पुरा में राष्ट्रीय संग्रहालय बनाया गया है .
. उदयपुर, जोधपुर , भीलवाडा़ , सहित कई जगहों पर ईन महानायका के स्मारक बने हुवे हैं

पोस्टबाई :- चारणाचार पत्रिका राजस्थान
टाईप :-  मनुदान गढवी - महुवा
    9687573577
      वंदे सोनल मातरम् 

20 नवंबर 2015

कवि मित्रो ने निवेदन

.      कवि मित्रो ने निवेदन के ...
"अध्यतन युगना चारणी साहीत्य उपासको" नामनी बुक प्रकासीत थाय ते हेतु..
हालना नव युवान चारणी साहित्य ना दरेक कवियो ने नीवेदन तेओ तेमनी अर्थो साथे नी दस दस  कृतियो तेमज पोतानो फोटो अने व्यक्तिगत परिचय मोकले..जे संयुक्त थये ऐक १०० कृतियो नुं ऐक पुस्तक रुपे परिणमी समाज ने खोळे मुकवा माननीय विजयदानजी आपानो निःस्वार्थ  मनोरथ छे...
  जे माटे आप सर्वे कविगण ने मारा अंगत बोक्ष मां पोतानो छापी सकाय तेवो परिचय फोटो तथा कृतियो मोकलवा निवेदन छे...मारो अंगत वोट्सऐप बोक्ष नंबर छे.. ..9898360102
सुद्ध हेतु मां तो...
०१..जे कवियो नी उमदा पण ओछी रचना होय जे तेओ पोते नथी छापी सकवाना अने काळ ना चडबा मां चवाई जाय ऐना करतां लोको सुधी पोहचे..
०२.आगळ नी पेढी ने हालनी पेढी थी प्रेरणा मळे...
०३.. चारणी साहित्य ना समकालीन कवियो नी ऐतिहासीक माहीती ऐकत्रीत रहे..
०४. कोई व्यक्ती नी प्रसस्ती ना गीतो के काव्यो नई पण मात्र परमेश्वर..पराम्बा..प्रकृती के सामाजीक स्थिति के कु रीती पर कटाक्ष करती संदेस काव्यो नो संग्रह बने...
०५. समकालीन नव युवा कवियो निकट आवी ने ..जेम सात कवि मित्रोये..प्रविंण सागर जेवो ग्रंथ आप्यो तेवो कोई नविन ग्रंथ बने ते माटे समकालीन कवियो संयुक्त थाय....
वधारे माहिती माटे :-
जोगीदानभाई चडिया - 9898360102
वंदे सोनल मातरम्

19 नवंबर 2015

गढवी युवा ग्रुप आयोजीत ब्लड ग्रुपींग केम्प

पधारो मांडवी                                पधारो मांडवी
➡ स्व.पचाण विश्राम गढवी (गढवी साहेब) नी स्मृतिमां गढवी युवा ग्रुप द्रारा आयोजीत ब्लड ग्रुपींग केम्प तथा स्नेह मिलन कार्यक्रम
        
➡ तारीख :- 20-11-2015
➡ समय  :- सांजे 4-00 कलाके
➡ स्थळ :- दरजी समाजवाडी मांडवी कच्छ
वधारे माहिती माटे :-
खेराजभाई गढवी :- 9879029719
          वंदे सोनल मातरम् 

|| धुड धोबे धुतकार || . रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.        || धुड धोबे धुतकार ||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
गायुं उठवी गांमनी, बांधल  उंचा बार
जग मां ऐने जोगडा, धुड धोबे धुतकार. ०१
रसण कथायुं रामनी, उर भर्यो अंहकार
जारो वा मुख जोगडा, धुड धोबे  धुतकार. ०२
कहळा आखा कटम थी, खोटो राखे खार
जाय परो ई जोगडा, धुड धोबे धुतकार. ०३
सगां मळे ज्यां सामटां, त्यांय करे तकरार
जड मतीया ने जोगडा, धुड धोबे धुतकार. ०३
पिये मदीरा पालीयुं, अखज करे आहार.
जांण पतित सुं जोगडा, धुड धोबे धुतकार. ०४
अवगण गण पर आचरे, उपकारे अपकार
जाय भुली गण जोगडा, धुड घोबे धुतकार. ०५
विनय भुली ने वावरे, अधम भर्या उदगार
जण कपटी गण जोगडा, धुड धोबे धुतकार.६
लीधुं दीये नई लालची, नफट बने  नादार
जाय परो कर जोगडा, धुड धोबे धुतकार. ०७
सगा घणीं ने छेतरे, वपू करत व्यापार
जहर समी ऐ जोगडा, धुड धोबे धुतकार. ०८
रीत भुली निज राखतो, नींच कुलिन घर नार
जात हींणो गण जोगडा, धुड धोबे धुतकार. ०९
नजर न नोंधे नजर सुं, भणे वात दई भार
जे लंपट गण जोगडा, धुड धोबे धुतकार. १०
वात पुरी समज्या विना, हसे तोय तम हार
जुठ कपट गण जोगडा,धुड धोबे धुतकार. ११
क्रमशः......


लश्करी भरती मेळो - जामनगर

.    लश्करी भरती मेळो - जामनगर

ऑनलाइन फॉर्म भरवाना चालु छे
www.joinindianarmy.nic.in
➡ जग्यानुं नाम :-
(1) सोल्जर जनरल डयूटी(GD)
     लायकात     :- धो.10 पास
     ऊंचाई         :- 168 से.मी
     वजन          :- 50 किलो
     उमर           :- 17.5 थी  21 वर्ष
(2) सोल्जर ट्रेंडसमेन
     लायकात     :- धो.10 पास / 8 पास / ITI
     ऊंचाई         :- 167 से.मी
     वजन          :- 50 किलो
     उमर           :- 17.5 थी  23 वर्ष
(3) सोल्जर टेकनिकल
     लायकात     :- धो.12 सायन्स,फिजिक्स,मेथ्स,केमेस्ट्री 45 % साथे पास
     ऊंचाई         :- 167 से.मी
     वजन          :- 50 किलो
     उमर           :- 17.5 थी  23 वर्ष
(4) सोल्जर क्लार्क
     लायकात     :- धो.12 पास
     ऊंचाई         :- 167 से.मी
     वजन          :- 50 किलो
     उमर           :- 17.5 थी  23 वर्ष
➡ अरजी केवी रीते करवी :-
पर ओनलाईन फॉर्म भरवानुं छे. 

फ़ॉर्म भरवानी छेल्ली तारीख :- 01-12-2015
फॉर्म नी प्रिंट आउट काढी साचवी राखवी.

Admit Card ऑनलाइन फॉर्म भरती वखते जे E-Mail ID नाखी हशे ते E-Mail Id पर Admit Card आवी जाशे.



जील्ला वाईझ भरती कार्यक्रम
तारीख------------------- जील्लानुं नाम
____________________________
16-12-15 - जामनगर
17-12-15  - राजकोट,मोरबी
18-12-15 - सूरेन्द्रनगर,अमरेली
19-12-15 - भावनगर
21-12-15  - देवभूमि द्रारका, दीव
22-12-15 - जूनागढ़
23-12-15  - कच्छ, गीर सोमनाथ
24-12-15 - पोरबंदर,बोटाद
ता.25-12-15 थी 30-12-15 सुधी मेडीकल

भरतीनो स्थळ :-
सशस्त्र सीमाबळ सेन्टर ग्राउन्ड जामनगर

वधारे माहिती माटे :-
लश्करी भरती कार्यालय
सोलेरियम रोड, जामनगर
02882550346

टाईप :- www.charanisahity.in

आ पोस्ट फॉर्वड करजो कोईनुं कॅरियर बनी जाशे
          सहकार माटे आभार
       वंदे सोनल मातरम् 

18 नवंबर 2015

|| हिंगळाज वंदना अष्टक ||. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

गत 15/11/15 नी  रात्रे दहीसरा मोरबी..मां..मारां लखेल गीतो नी सीडी केसेट....रंग छे बारोट ने रंगछे..आल्बम  नुं लोंचिंग थयुं जेमां रहेल ऐक रचना ऐटले...
.           || हिंगळाज वंदना अष्टक ||
.     रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
.                       छंद : चर्चरी
".  कहळ करो कांपालनी, खोट खरुं  सब खेर
    जणीयल हंदी जोगडा, भवां करो अब भेर "
सतपत शिवबा सवंग, तुरकां तरवार तंग,जीत हीत हिंदांण जंग,गण किताक गावो.
करघर किरपांण कंग, अधको धरती उमंग, सरपर मुगटां सलंग, साज ने सजावो.
मारण दैयतां मलंग, चारण जोगा चलंग, भारण हरणीं भलंग, लाख रंग लावो.
करवा उद्धार काज, रखवा भगतां री राज, जय जय जय हिंगळाज, आज भेर आवो. ||01||
परशु परहांण पांण, होवत खत हिंदवांण, पटकत जटकंन्त प्राण, बांण तांण ब्हावो.
चारण चरीतार चांण, विध विध करता वखांण,भळके तव तेज भांण, दांण को न दावो.
परगट घट कर पिछांण, जोगा जट करत जांण, हौवत नह कबु हांण, गांण मात गावो.
करवा उद्धार काज, रखवा भगतां री राज, जय जय जय हिंगळाज, आज भेर आवो. ||02||
भखणीं अहरांण भोग, लखणीं पद नमत लोग, फगणीं नही वचन फोग, जोगणीं जमावो.
दांणत नह कबु दोग, जांणत जगमया जोग,आंणत नत अष्ट योग, धरम काज धावो.
छबीयत चरचरी छंद, आतम हंदो अकंद, विगताळी करत वंद, फंद कौ न फावो.
करवा उद्धार काज, रखवा भगतां री राज, जय जय जय हिंगळाज, आज भेर आवो. ||03||
सांमत सोळां सधीर, दिल्ली गढ हक दधीर, वरदाई प्रकट विर, शिस कट्ट सावो.
चक जीह बहारटां चंद, छत जोगी लीखत छंद, वरदाळी करत वंद, चारण गण चावो.
दैवां सब तमण दास, अभिया गत करत आस, खटके ले खबर खास, पास भाव पावो.
करवा उद्धार काज, रखवा भगतां री राज, जय जय जय हिंगळाज, आज भेर आवो. ||04||
ठुमरां की है ठणंक, झांझर बिछीया झणंक, खडगां करती खणंक, ढंक नाद ढावो.
बारट तरकां बलोच, चारण रजपुतां चोच, सघळां री तुंही सोच, लोचनां लुभावो.
रखणीं नव बाळ रीस, अदका दियणी असिस, सिमटे हथ झुके शिस, दीस जोग दावो.
करवा उद्धार काज, रखवा भगतां री राज, जय जय जय हिंगळाज, आज भेर आवो. ||05||
डीम डीम डीम बजत डाक, हुक हुक हुक गण करत हाक, त्रुक तुक टुक रहत ताक, फैंण सेस फावो.
भैरव गण लीयण भूत, हुकळे हर देव दूत, यग दखसां कर अधूत, सूत मात सावो.
सतीयन सळळाट सेह, दख यगना जलन देह, वहरो शिव धरत वेह, तांडवान तावो
करवा उद्धार काज, रखवा भगतां री राज, जय जय जय हिंगळाज, आज भेर आवो. ||06||
शंकर गण भूत संग, रणहूर चख घगत रंग, आग जलत अंग अंग, बांध गंग बावो
भभक्यो तद फैंक भंग, कंकण खणेणाट कंग, जळळ द्रग ज्वाळ जंग, दंग देख दावो
तमसां नह करत तंग,चडीया चरीतार चंग, अंतर भरतो उमंग,प्रेम मात पावो
करवा उद्धार काज, रखवा भगतां री राज, जय जय जय हिंगळाज, आज भेर आवो. ||07||
सीत चीत अमरत समान,जित हित लिख जोगीदान, प्रित नित मातुल प्रमांन, गळक नाद गावो
वित दीत वरदे विधान, गीत रीत पद करत गांन, थीत तीत हिंगोळ थान, भांन सान भावो.
गौरख भजीयो गजान, ठुंमरा लीत घुमत ठान, पद नैपुर कर पिछान, बान नाथ बावो
करवा उद्धार काज, रखवा भगतां री राज, जय जय जय हिंगळाज, आज भेर आवो. ||08||
.                      ईतीः श्री हिंगळाज वंदना अष्टक


संत श्री जलाराम बापा


संत श्री जलाराम बापा (गुजराती: જલારામ) एक हिन्दु संत थे। वे राम-भक्त थे। उनका जन्म १७९९ मे गुजरात के राजकोट जिले के वीरपुर गाँव में हुआ था।
जीवन
जलाराम बापा का जन्म सन्‌ 1799 में गुजरात के राजकोट जिले के वीरपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रधान ठक्कर और माँ का नाम राजबाई था। बापा की माँ एक धार्मिक महिला थी, जो साधु-सन्तों की बहुत सेवा करती थी। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर संत रघुवीर दास जी ने आशीर्वाद दिया कि उनका दुसरा प़ुत्र जलाराम ईश्वर तथा साधु-भक्ति और सेवा की मिसाल बनेगा।
16 साल की उम्र में श्री जलाराम का विवाह वीरबाई से हुआ। परन्तु वे वैवाहिक बन्धन से दूर होकर सेवा कार्यो में लगना चाहते थे। जब श्री जलाराम ने तीर्थयात्राओं पर निकलने का विश्चय किया तो पत्नी वीरबाई ने भी बापा के कार्यो में अनुसरण करने में विश्चय दिखाया। 18 साल की उम्र में जलाराम बापा ने फतेहपूर के संत श्री भोजलराम को अपना गुरू स्वीकार किया। गुरू ने गुरूमाला और श्री राम नाम का मंत्र लेकर उन्हें सेवा कार्य में आगे बढ़ने के लिये कहा, तब जलाराम बापा ने 'सदाव्रत' नाम की भोजनशाला बनायी जहाँ 24 घंटे साधु-सन्त तथा जरूरतमंद लोगों को भोजन कराया जाता था। इस जगह से कोई भी बिना भोजन किये नही जा पाता था। वे और वीरबाई माँ दिन-रात मेहनत करते थे।
बीस वर्ष के होते तक सरलता व भगवतप्रेम की ख्याति चारों तरफ फैल गयी। लोगों ने तरह-तरह से उनके धीरज या धैर्य, प्रेम प्रभु के प्रति अनन्य भक्ति की परीक्षा ली। जिन पर वे खरे उतरे। इससे लोगों के मन में संत जलाराम बापा के प्रति अगाध सम्मान उत्पन्न हो गया। उनके जीवन में उनके आशीर्वाद से कई चमत्कार लोगों ने देखें। जिनमे से प्रमुख बच्चों की बीमारी ठीक होना व निर्धन का सक्षमता प्राप्त कर लोगों की सेवा करना देखा गया। हिन्दु-मुसलमान सभी बापा से भोजन व आशीर्वाद पाते। एक बार तीन अरबी जवान वीरपुर में बापा के अनुरोध पर भोजन किये, भोजन के बाद जवानों को शर्मींदगी लगी, क्योंकि उन्होंने अपने बैग में मरे हुए पक्षी रखे थे। बापा के कहने पर जब उन्होंने बैग खोला, तो वे पक्षी फड़फड़ाकर उड़ गये, इतना ही नही बापा ने उन्हें आशीर्वाद देकर उनकी मनोकामना पूरी की। सेवा कार्यो के बारे में बापा कहते कि यह प्रभु की इच्छा है। यह प्रभु का कार्य है। प्रभु ने मुझे यह कार्य सौंपा है इसीलिये प्रभु देखते हैं कि हर व्यवस्था ठीक से हो सन्‌ 1934 में भयंकर अकाल के समय वीरबाई माँ एवं बापा ने 24 घंटे लोगों को खिला-पिलाकर लोगों की सेवा की। सन्‌ 1935 में माँ ने एवं सन्‌ 1937 में बापा ने प्रार्थना करते हुए अपने नश्वर शरीर को त्याग दिया।
आज भी जलाराम बापा की श्रद्धापूर्वक प्रार्थना करने पर लोगों की समस्त इच्छायें पूर्ण हो जाती है। उनके अनुभव 'पर्चा' नाम से जलाराम ज्योति नाम की पत्रिका में छापी जाती है। श्रद्धालुजन गुरूवार को उपवास कर अथवा अन्नदान कर बापा को पूजते हैं।

जलाराम बापानी 216 मी जन्म जयंति नी हार्दिक शुभेच्छाओ




17 नवंबर 2015

|| काळा सघळे काग (दोहा)||. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.      || काळा सघळे काग (दोहा)||
.   रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
बउ बोले नई बाई तो, रहे कटम मां राग
जांण्युं चारण जोगडा, काळा सघळे काग
मात जण्या थी मागता, भोरिंग थई ने भाग
जगत बधी मां जोगडा, काळा सघळे काग
पारवडां कई पाळीये,ई, निकळे काळा नाग
जोय विचारो जोगडा,अहीं,काळा सघळे काग
मलकी आवे मोढडे,ऐणे, दल मां ढांकेल दाग
ई, जोता मोको जोगडा, काळा सघळे काग
माथा कापे मोर थी, अने, पछी घरे सीर पाग
जुठूं जुके बउ  जोगडा, काळा सघळे काग
सिखवाडो समशीर ई, खेचें सनमुख खाग
जाय भुली गण जोगडा, काळा सघळे काग.
तरक बुधी थी तावियें, तोय मळे नई ताग
जुदान दीसता जोगडा, काळा सघळे काग
फूल न होये फांकडुं, तोय, बधे बतावे बाग
जांण थतां के जोगडो, काळा सघळे काग

आळे टोळे आपनो, लेवा मथता लाग.
जाकुब घंघे जोगडा, काळा सघळे काग
वचनो देवा विहरता, करे, चुंटणीयुं नां चाग
जरी फरक नई जोगडा, काळा सघळे काग
आंगण हरखे आवता, मतनी करता माग
जीत्ये न जांणें जोगडा, काळा सघळे काग
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16 नवंबर 2015

स्व.श्री पचाणभाई विश्रामभाई आलगा लेखीत 3(त्रण) पुस्तको ई-बुक स्वरूपे

जय माताजी
आजे लाभ पांचमना शुभ दिवसे स्व.श्री पचाणभाई विश्रामभाई आलगा  लेखीत 3(त्रण) पुस्तको ई-बुक स्वरूपे  मुकवानुं नानकडू प्रयास करेल छे.

(1) आईश्री सोनल ईश्वरी
(2) कच्छ चारण परिवार
(3) पथिके रिद्धि

लेखकनुं टुंकमां परिचय :-
साक्षर समाज सेवक, सुधारक, केळवणीकार
नाम   :- पचाण विश्राम आलगा
जन्म तारीख :- 23-05-1923
जन्म स्थळ :- विजपासर ता. नखत्राणा-कच्छ
अभ्यास :- बी.ऐ
व्यवसाय :- शिक्षक
हुलामणुं नाम :- पचाण मास्तर

(1) आईश्री सोनल ईश्वरी Click Here

(2) कच्छ चारण परिवार  Click Here

(3) पथिके रिद्धि Click Here

आ पुस्तको डाउनलोड करवा माटे पुस्तकना नाम सामे जे Click Here लखेल छे तेना पर क्लिक करशो ऐटले  बुक  डाउनलोड थई  जाशे 

आ अप्राप्य पुस्तको ई-बुक बनाववा माटे आपवा बदल श्री पचाणभाई ना परिवारना श्री हरीशभाई तथा नेहाबेन नुं खूब खूब आभार मानुं छुं
चेतावणी :-
    आ  पुस्तको अप्राप्य छे ऐटले ई-बुक बनावी ने मुकेल छे आ पुस्तक मांथी काई पण उपयोग करता पहेला लेखक परिवारनी मंजूरी मेळवी ने ज उपयोग करवो अने आ पुस्तकनी प्रिंट काढी वेचाण करी शकाशे नहीं जे कोई आ शरतो भंग करशे तो कायदेसरनी कार्यवाही करवामां आवशे.
                               वंदे सोनल मातरम्

स्नेह मिलन

आई श्री सोनलमां एेज्युकेशन & चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा दर वर्षनी जेम आ वर्षे पण राजकोट आपणा  चारण - गढवी समाज नुं स्नेह मिलन  ता 15- 11-2015 रोज योजायेल
तेमा श्रीमति इंदुबेन गढवीअे माताजी ना भेळीया अने चरज गायने कार्यक्रमनी शरुआत करेल
त्यारबाद श्री अनुभाई जामंग द्वारा चारणी  साहित्य रजु करवामां आवेल
त्यारबाद श्री गोविंदभाई पालीया द्वारा पण चारणी साहित्य रजु करवामां आवेल
त्यारबाद श्री पालुभगत तथा श्री अंबादानभाई रोहडीया ,  तथा श्री नीतुभाई झीबा , रामभाई जामंग द्वारा दिप प्रगटावी कार्यक्रमनी शरुआत करेल
त्यारबाद श्री रामभाई जामंग द्वारा समाजना अग्रणीओने मार्गदर्शन अने ट्रस्ट विशे विसत्रुत माहिती पुरी पाडी हती ,

त्यारबा श्री आपाभाई गढवी ( भावनगर ) द्रारा चारणी साहित्य रजु करवामां आवेल हतुं

15 नवंबर 2015

अंबे माडी रे रचना -- राम बी. गढवी नविनाळ कच्छ

अंबे माडी रे
ढाळ सैयर मोरी रे
अंबे माडी रे...चारणकुळ तारनारी
आयुं अमारी क्यां गइ रे जी
इतो सुरज ने रोकनारी
आवड माडी क्यां गइ रे जी
अंबे माडी रे...समंदर मे सोसनारी
इ आइ हवेे क्यां गइ रे जी
आइ तें कुलडी कटक जमाड्या
साथे चकली रुपे चालती रे जी
अंबे माडी रे...हीणी नजर करनारो
बासर बेठो ओरडे रे जी
सिंहण थइ पलंग थी पछाड्यो
बाकर तारे पाये पडे रे जी
अंबे माडी रे...विनवुं वंदु विधाता
भुल अमारी माफ करो रे जी
अमने आसरो एक तिहारो
वखते वेला आवजो रे जी
अंबे माडी रे.....जीवतर अमणो सुधार्यो
सोनल पाछी क्यां मले रेजी
जेणे साची राह बतावी
आइ मारे श्वासे वसी रे जी
अंबे माडी रे....खोडे बेसाड ने हेते
जगदंबा केम मुंगी बेठी रे जी
'राम' ने शरणे राख ने माडी
होंकरो देजे हाकले रे जी
रचना -- राम बी. गढवी
नविनाळ कच्छ
7383523606
आ रचनानो ऑडियो उर्मिलाबेन गढवी मुंदरा वाळाना स्वर मां
ऑडियो डाउनलोड करवा माटे Click Here

जय जुंगीवारा

जय जुंगीवारा
बेह गाममा बीराजेल वीर सोलंकी वछराज नी चोवीसी(24 दुहा) जे नंगा भाई गढवी  (सलाया वारा) ए लख्या छे तेमाथी 12 दुहा ब्लोग पर मुकवानो  नानकडो प्रयास करेल छे  बीजा दुहा हवे पछी मुकवामा आवशे
||1|| बंधन पवित्र बहेन नो, ऐमा साचा सबंध नो सार, आतो तातणा तणो तहेवार, इतो विश्वास भर्यो वाछरा.....

||2||  राजपूत हाथे राखडी इतो बांधे देवल बाइ, इतो जाते चारण जाइ, तारा वारणा लीए वाछरा......    
||3|| बळेव पूनमे बेनळी, अने लागणी थी बांधे लीर एवो विश्व  भरमा विर, तारो  विजय थाय वाछरा. ....
||4|| माथुं तु मागी लेने, तने उतारी आपु आई, मारी बेनडी देवलबाई, तारे वचने बंधाणो वाछरो......
||5||  मरु तोय मागुं नही एवो, राणा तारों रुधिर, तुं बांधव मारो बलवीर मने, व्हालो बहुं  तुं वाछरा......
||6||  मागीश मारा मोतने, अने शुरा नही मागुं शीर, पण साचवी लेजे शूरवीर, एवी विधी जवतलनी वाछरा. ......
||7|| मोढे तुं मागी लेने आज दीलथी देवलबाई, एवा अवसर टाणे आई, तने विनती करे  छे वाछरो....
||8|| माग्यु कदी मले नही वीरा नभ माथी नीर, पण वमळ सर्जे ना विर कदी वहेता जळमा  वाछरा......
||9|| मरे पण मागे नही ऐवी जगमा चारण जात, अमे वाणी करमे विख्यात, ऐवा वेद पुराणे वाछरा...... 
||10|| एवा फेरा मांडवे फरतो त्या आव्यो काने अवाज, आपणा गामनु आज ऐवो वारी गया धण वाछरा.....
||11|| मंगळ फेरा मेल्या ऐवा वरराजाने वेश, पछी खंभेथी हटावी खेश, एवी वरमाल तोडी वाछरा. ....
||12||  ऐवो पलमा घोडो पलाण्यो, धरी नही मनमा धीर, आज विना डरथी विर, ऐवो व्हारे चड्यो तुं वाछरा.. ..
||13||  तलवार लईने त्राटक्यो   अने जबरो खेल्यो जंग, ऐवा अनेक शत्रु ना अंग ते वीरता थी वाढ्या वाछरा. .......
||14|| ऐवा शत्रुओं हता सामटा, मारो वंकडो एकल वीर, ऐवा सोलंकी ऊचे शीर तेतो वार्यो गौधण वाछरा.......
||15|| ऐवी गायो लाव्यो तुं गोंदरे, तने वधावुं मारा वीर, आज खवडावुं रांधीने खीर, मारी वेगळ भूल्यो वाछरा.....
||16||  ऐवो क्षत्रिय सामी छातीए, अने झीले जनोईवध घाव, आज पाछा भरे नव पाव मारी वेगळ ने काज  वाछरा....
||17|| ऐवा वेरीए शीर वधेर्यो  तेदी धड धींगाणु लडे, ऐवी गौमाता ने गळे ऐवा वाग्या घुघरा वाछरा.......
||18||  मस्तक पळयो मैदान मा तेदी धंणेणी ऊठी धरा, ऐवा ईन्द्रलोक नी अप्सरा तारी वाटु जुवे  वाछरा.....
||19||  मींढोळ तूट्यो मेदानमा, मारी व्हाली वेगळ माटे, ऐवी वीरगति नी वाटे, तुतो व्हेलो सीधाव्यो वाछरा. ......

||20|| आव्यो गायने उगारवा, अने राणा ते राखी रीत, ऐवी पाळी बतावी प्रित, आज वसमी घडीए वाछरा......
||21|| तने आशिष देवलआई ना, तारो अमर रहेशे इतिहास, थाशे वैकुंठ मा तारो वास ऐवा विष्णुना चरणे वाछरा......
||22||  ऐवी अडधी राते ऊपड्यो जामनगर पहोची जई, ऐवी सताने चोपडे सही करी, व्हेली सवारे वाछरा. ...
||23|| ऐकलो अस्वार आव्यो, अने धणी हतो धरखम,  ऐवा राणाऐ चुकवी रकम, आज व्याज सहीत  वाछरा.......
||24||  सोलंकी वीर सपूत ने, ऐवी सो-सो भरु सलाम, ""नंगो चारण"" कहे नाम आज वखाणे जगत वाछरा. ...

लेखक: नंगा भाई गढवी
(नंगो चारण) सलाया
मो: 9904888458
टाइप: रामदे पी गढवी  (बेह)
टाइप मा भूल होय तो माफ करजो
   
वंदे सोनल मातरम्

14 नवंबर 2015

स्नेह मिलन राजकोट

आई श्री सोनलमाँ एज्युकेशन & चेरिटेबल ट्रस्ट -राजकोट द्वारा दर वर्ष नी जेम आ वर्षे पण
राजकोट समाज नी वाडी खाते चारण-गढवी समाज नु स्नेह मिलन आवति काले ता. 15-11-2015 न रविवार ना रोज सवारे 9 30 वाग्ये राखेल छे.
आई श्री कंकु माँ खास आशीर्वाद आपवा पधारवाना छे.
तो समाज ना सौ भाई ओ ने पधारवा खास आमंत्रण छे.

वीडियो

वीडियो 
1-LADKI KIRTIDAN GADHAVI WITH DEVALBEN GADHAVI RAYAN

2-AAI SHREE HANSBAI MA ANTIM DARSHAN

3-CHARAN MAHATMA PALU BHAGAT


4-DAYABHAI GADHAVI MOTI KHAKHAR

5-KIRANBEN GADHAVI


6-VALJI GADHAVI


7-VALJI GADHAVI

8-MANIYARO RAS


9-TALVARRAS


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